दिलेर समाचार, पटना: भले ही बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं लेकिन जब राज्य हित की बात आती है तो उनके सुर किसी भाजपा विरोधी राज्य के वित्त मंत्री से ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं. गुरुवार को दिल्ली में राज्यों के वित्त मंत्रीयों की बैठक में उनके सुर देख सब भौंचक थे. आखिर वो कौन सा मुद्दा उन्होंने कैसे उठाया जिससे केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत सभी राज्यों के वित्त मंत्री कुछ समय के लिए आश्चर्यचकित थे.
1. सुशील मोदी ने सर्व शिक्षा अभियान की चर्चा करते हुए आंकड़े दिए कि वो चाहे यूपीए की सरकार हो या अब उनकी नरेंद्र मोदी की सरकार किसी ने भी केंद्रीय शेयर की राशि पूरी नहीं दी. जहां मनमोहन सिंह की सरकार के समय 2013-14 में केंद्र को 3,893 करोड़ देना था तो मात्र 2,610 करोड़ दिया. वही 2017-18 में केंद्र को 6,335 करोड़ देना था लेकिन 2,505 करोड़ ही राशि दी गई. पिछले पांच वर्षों में बिहार को केंद्र से 25043 करोड़ के बदले मिला मात्र 12,501 करोड़.
2. सुशील मोदी ने प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 60 -40 के फ़ॉर्म्युला का विरोध करते हुए कहा कि इस योजना के तहत 2015-16 से पूर्व की सभी सड़क योजनाओं को केंद्र सरकार से शत प्रतिशत राशि दी जाए.
3. इसके अलावा मोदी ने मनरेगा में क़रीब एक हज़ार करोड़ की कटौती, प्रधान मंत्री आवास योजना में 3552 करोड़ की केंद्र द्वारा राशि की कमी का मुद्दा उठाया.
4. सुशील मोदी ने राज्य आपदा राहत कोश जिसमें फ़िलहाल 75-25 के हिसाब से केंद्र और राज्य को राशि देनी होती है उसे बदल के केंद्र द्वारा 90 प्रतिशत राशि का भुगतान और बिहार जैसे ग़रीब राज्य के ऊपर मात्र दस प्रतिशत का भार रखने की अपील की. 5. सुशील मोदी ने अपने भाषण के शुरुआत में केंद्रीय टैक्स की राशि में राज्य के हिस्से को जो हर तिमाही पर दिए जाने का वर्तमान प्रावधान हैं उसे मासिक करने का आग्रह किया. कहा, नहीं तो बिहार जैसे राज्य को क़र्ज़ लेकर वेतन, पेन्शन और पहले से लिए गए क़र्ज़ के सूद का भुगतान करना परेगा
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