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‘पकौड़े’ के बाद अब 'नीबू' की राजनीति में खट्टी एंट्री

Posted at: Apr 7 , 2018 by Dilersamachar 9708

दिलेर समाचार, बेंगलुरू । कर्नाटक के चुनावी समर में अब नींबू को लेकर राजनीति तेज़ है. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने हाथ में नींबू दिखने पर बीजेपी ने उन्हें अंधविश्वासी बताने में देर नहीं लगाई तो दूसरी तरफ सीएम ने भी पलटवार करने में देर नहीं लगाई. इसे कन्नड़ संस्कृति से जोड़ दिया है.

बीजेपी ने कहा कि एक तरफ तो वह ऐसी चीजों को बढ़ावा देते हैं जबकि दूसरी तरफ हिन्दू परंपराओं का‘ अनादर करने और उन्हें आपराधिक बनाने के लिए’ अंधविश्वास विरोधी कानून ला रहे हैं. कर्नाटक बीजेपी ने एक ट्वीट कर कहा, ‘हाथ में नींबू लेकर प्रचार करना और दूसरी ओर हिन्दू परंपराओं का अनादर करने और उन्हें आपराधिक बनाने के लिए अंधविश्वास विरोधी कानून लाना. सिद्दरमैया आपका नाम पाखंड है.’ बीजेपी ने एक फोटो भी पोस्ट किया है, जिसमें वह हाथ में नींबू लेकर प्रचार कर रहे हैं.

मैसूर के चामुंडेश्वरी में चुनाव प्रचार के वक्त मुख्यमंत्री सिद्दरामैया के हाथ में नीबू क्या दिखा बीजपी ने हमला करने में देर नहीं लगाई. बीजेपी प्रवक्ता एस प्रकाश ने कहा कि जिस आदमी ने अंधविश्वास निरोधक कानून बनाया वो ही अगर नींबू लेकर अंधविश्वास फैलाएगा तो मज़ाक तो बनेगा ही.

सिद्दरामैया भी कहां पीछे रहने वाले थे उन्होंने ट्वीट किया कि फेंक न्यूज़ अगर बीजेपी फैलाएगी तो स्मृति ईरानी गलत खबर फैलाने के आरोप में कार्रवाई करेंगी. मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने कहा कि किसी ने मुझे नीबू दिया और मैंने हाथ में रखा. ये कर्नाटक का ट्रेडिशन है इसमें क्या गलत है. इसके जवाब में बीजेपी ने तीन अलग-अलग सालों और जगहों का एक और ट्वीट जारी कर पूछा कि क्या सभी नीबू एक ही आदमी ने दिये. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नींबू को लेकर इतना सियासी बवाल क्‍यों मचता है.

हिन्‍दू मान्‍यता है कि नींबू नकारात्मक शक्तियों को दूर रखती है लेकिन अगर कोई हाथ में नींबू लेकर घूमे तो ये अंधविश्वास के इलावा कुछ भी नहीं. इसका कोई वैज्ञानिक आधार नही है. इससे पहले कहते हैं कि एक बार मुख्यमंत्री सिद्दरामैया की कार पर कौवा बैठा तो उन्होंने कार ही बदल दी थी.

ये भी पढ़े: कुत्ते-बिल्ली वाले बयान पर कांग्रेस ने दिया शाह को जवाब

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