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थाईलैंड की गुफा से बचने के बाद बच्चों ने सुनाई अंदर की कहानी, बन सकती है हॉलीवुड फिल्म

Posted at: Jul 19 , 2018 by Dilersamachar 9924

दिलेर समाचार, थाईलैंड में पानी से भरी गुफा से जोखिमपूर्ण अभियान चलाकर बचाए गए 12 बच्चों और उनके फुटबॉल कोच ने पहली बार संवाददाता सम्मेलन में अपने असाधारण अनुभवों को साझा किया. संवाददाता सम्मेलन में जब ‘वाइल्ड बोर्स’ के सदस्य उत्तरी थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में अंधेरे में बिताये अपने नौ दिनों के बारे में सवालों के जवाब दे रहे थे तब वे स्वस्थ और खुश नजर आ रहे थे. अंतरराष्ट्रीय बचाव दल ने उन्हें खोजा था.
 
यहां अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद लोगों ने इन किशोरों का स्वागत किया. इन किशोरों ने संवाददाता सम्मेलन में जाने से पहले एक अस्थायी मैदान में फुटबॉल भी खेला. वाइल्ड बोर्स के फुटबॉलर अब्दुल सैम ओन (14) ने बचाव के बारे में कहा, ‘‘यह एक चमत्कार है.’’ बच्चों से उनके भयावह अनुभव के बारे में बड़े प्यार से सवाल किये गये.
 
जब टीम गुफा में अंदर फंस गयी तब उसके पास खाने को कुछ नहीं था. गुफा के अंदर दीवारों से रिस रहे पानी को पीकर जिंदा रहे. लेकिन डॉक्टरों ने कहा है कि अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ के बाद सभी 13 लोग सेहतमंद हैं. यह ब्रीफिंग बहुत ही नियंत्रित थी क्योंकि विशेषज्ञों ने संभावित दीर्घकालिक तनाव की चेतावनी दे रखी थी. सियांग राय के जन संपर्क विभाग ने मीडिया संगठनों से पहले ही सवाल मंगा लिये थे और उन्हें मनोचिकित्सकों के भेज दिया था.



 
थाईलैंड के जुंटा नेता प्रयुत चान ओ चा ने आज मीडिया से इन बच्चों से सवाल पूछने के दौरान सावधानी बरतने की अपील कर रखी थी और उनसे ऐसे सवालों से बचने को कहा था कि जिनसे बच्चों को नुकसान पहुंचे. इन बच्चों की कहानी जानने में लोगों की तीव्र इच्छा है. कुछ फिल्म प्रोडक्शन हाउसों की इस घटना पर हॉलीवुड फिल्म बनाने को लेकर नजर है.

डॉक्टरों ने 11-16 साल के इन बच्चों के परिवारों को सलाह दी है कि वे उन्हें कम से कम एक महीने तक पत्रकारों के संपर्क में नहीं आने दें. बच्चों के परिवारों ने उनकी घर वापसी का बेसब्री इंतजार किया है. 13 साल के डोम की दादी खामयू प्रोथेप ने आज कहा, ‘‘यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का दिन है.’’

जब ब्रिटिश गोताखोर गुफा के अंदर पहुंचे तब उन्होंने देखा कि नौ दिनों तक बिना भोजन के रहने से ये बच्चे बिल्कुल दुर्बल हो गये थे और एक जगह एक-दूसरे से चिपककर बैठे थे. बचावकर्मियों ने उन्हें बाहर निकालने की सबसे बेहतर योजना पर चर्चा की और आखिरकार उन्होंने जोखिमपूर्ण अभियान का फैसला किया. उन्हें शांत रखने के लिए नशे की दवा दी गयी और पानी से भरे रास्ते से बाहर निकालने में जुट गये. उन्होंने उसके लिए सैन्य ग्रेड के स्ट्रेचरों का इस्तेमाल किया. 

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