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दरअसल राज्य सभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल को लेकर कल राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था. कांग्रेस उम्मीदवार और पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने सवाल भी उठाया था. सरकार ने इस पर जवाब देते हुए कहा था कि चुनाव कराने का अधिकार चुनाव आयोग का है.
क्यों है कांग्रेस को आपत्ति?
सूत्रों के मुताबिक एक के बाद एक गुजरात कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफों से परेशान कांग्रेस अपने 44 विधायकों को बेंगलूरु तो ले गयी लेकिन पार्टी को लगता है कि नोटा का विकल्प इसीलिए दिया जा रहा है ताकि जो विधायक टूट नहीं सके वो आखिरकार इस तरह से कांग्रेस नेता अहमद पटेल के पक्ष में वोट ना डालें, कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ये साजिश अहमद पटेल को हराने के लिए कर रही है, कांग्रेस इस मामले को लेकर चुनाव आयोग भी गई.
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क्यों मचा है बवाल?
दरअसल चुनाव आयोग ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है. नोटा का मतलब होता है नन ऑफ द एबव यानी विधायको को इनमें से कोई नहीं चुनने का विकल्प होगा.
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को चुनाव में नोटा के इस्तेमाल का आदेश दिया था, इसके बाद यूपी, हरियाणा और त्रिपुरा के अलावा तमाम राज्यों जहां वोटिंग की आवश्यकता पड़ी वहां राज्य सभा चुनाव के दौरान नोटा का इस्तेमाल हुआ था. दरअसल राष्ट्रपति औरउपराष्ट्रपति के चुनाव का छोड़के नोटा का ऑप्शन सभी चुनावों में होता है.
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