उन्होंने कहा, "हम एक ऐसे युग में रहते हैं जहां मोबाइल फोन हमारे जीवन में प्रवेश कर चुका है और वास्तविक मानवीय संपर्क लगभग न के बराबर है. हालांकि प्रौद्योगिकी ने सभी के लिए जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन इसके साथ एक गंभीर सीमा भी है. इनमें से एक है सेल्फी लेना और कई विकृतियों के साथ समस्या की पड़ताल करना, जिसमें मानसिक और शारीरिक दोनों कठिनाइयां शामिल हैं और सबसे ताजा है सेल्फी रिस्ट." डॉ. अग्रवाल ने कहा, "पिछले दो वर्षो में दुनिया भर में सेल्फी का बुखार बढ़ा है. सेल्फी को दुनिया भर में बड़ी संख्या में मृत्यु दर और महत्वपूर्ण बीमारी से जोड़ा गया है."
इस डिजिटल युग में, अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है मॉडरेशन यानी तकनीक का मध्यम उपयोग होना चाहिए. हम में से बहुत से लोग ऐसे उपकरणों के गुलाम बन गए हैं जो वास्तव में हमें फ्री टाइम देने और जीवन को बेहतर तरीके से अनुभव करने तथा लोगों के साथ अधिक समय बिताने के लिए बनाये गये थे. जब तक जल्द से जल्द एहतियाती उपाय नहीं किए जाते, यह लत लंबी अवधि में किसी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है.
- सोने से 30 मिनट पहले किसी भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का उपयोग न करें.
- हर तीन महीने में सात दिन के लिए फेसबुक से छुट्टी लें.
- सप्ताह में एक बार, पूरे दिन के लिए सोशल मीडिया के उपयोग से बचें.
- अपने मोबाइल फोन का उपयोग केवल तभी करें जब मोबाइल हों.
- दिन में तीन घंटे से अधिक कंप्यूटर का उपयोग न करें.
ये भी पढ़े: मध्य प्रदेश: सचिवालय में ‘वंदे मातरम’ न गाने को लेकर भाजपा ने लिया कांग्रेस को आड़े हाथ
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar