दिलेर समाचार, केरल के सबरीमाला स्थित अय्यप्पा मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करने वाले उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में वर्षों से चले आ रहे मुद्दे पर केरल सरकार के विरोधाभसी रुख का उल्लेख किया।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा है कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लैंगिक भेदभाव है और इससे हिन्दू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन होता है।
पीठ ने उल्लेख किया कि केरल राज्य ने अलग-अलग समय पर विरोधाभासी रुख अपनाया।वी एस अच्युतानंदन के नेतृत्व वाली एल डी एफ सरकार (जो 2006 से 2011 तक सत्ता में थी) ने 13 नवंबर 2007 को दायर एक हलफनामे में मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का पक्ष लिया था।
इसके बाद कांग्रेस नीत यू डी एफ सरकार ने 2016 में अपने कार्यकाल के अंत में यू टर्न लेते हुए उस साल पांच फरवरी को शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर कर कहा कि मुद्दा ‘‘धर्म से जुड़ा’’ है और सरकार का कर्तव्य है कि वह धर्म के पालन के श्रद्धालुओं के अधिकार की रक्षा करे।
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