दिलेर समाचार, पैरों की सूजन कई बड़ी बीमारियों के शुरुआती लक्षणों में से एक मानी जाती है। दिल की बीमारी, किडनी की खराबी, प्रोटीन की गंभीर कमी या लिवर की बीमारी भी पैरों की सूजन की ओर संकेत करती है। पैरों की सूजन का पता पहले दिन से ही चल जाता है जब पैरों में चप्पल नहीं घुसती है, तभी इसकी जानकारी महिला को हो जाती है। एडिमा यह स्थिति तब निर्मित होती है जब शरीर पानी को रोककर रखने लगता है। जो पानी मूत्र एवं पसीने के जरिए निकल जाना चाहिए, वह शरीर में रुका रहने लगता है। इसकी वजह से पैर सूज जाते हैं। इसी के साथ कुछ समय बादहाथ और चेहरे पर भी सूजन आने लगती है।
सैंडिल्स की वजह से भी होता है ऐसा
कई महिलाओं को मासिक धर्म के आसपास पैरों में सूजन का अनुभव होता है। टखने में मोच कई महिलाओं को टखने में मोच आने के कारण एक पैर में सूजन आ जाती है। ऊंची ऐड़ी की सैंडिल पहनकर चलने वाली महिलाओं को अक्सर टखने में मोच आने की शिकायत हो जाती है। मोच आने से टखने के आसपास के लचीले टिशूज टूट जाते हैं। उन्हें ठीक करने के लिए शरीर का सेल्फ हीलिंग मैकेनिज्म खूब सारा खून उस क्षेत्र की ओर प्रवाहित कर देता है। इस स्थिति में चिकित्सक की सलाह से क्रेप बैंडेज बांधें और एक्स-रे करवाकर इत्मीनान कर लें कि कहीं कोई डिस्लोकेशन तो नहीं हुआ है।
गर्भावस्था में ऐसा तो रहे सावधान
गर्भावस्था गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया है कि वह अधिक मात्रा में पानी रोककर रख लेता है। यदि गर्भवती महिला लंबे समय तक खड़े रहकर काम करती है तो उसके पैरों में सूजन आ जाती है। लिंफेडीमा जब महिला के शरीर के एक या एक से अधिक लिंफ नोड्स (लसिका ग्रंथियां) जो रोग प्रतिरोधक प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, वे समस्याग्रस्त हो जाते हैं तो यह स्थिति बनती है। लसिका ग्रंथियां निकाल देनेके बाद शरीर बहुत कम मात्रा में तरल पदार्थ बाहर निकाल पाता है और यह शरीर में जमा हो जाता है। एकतरफा वॉल्व में खराबी पैरों का खून हार्ट की तरफ लौटता है। इसे पुनः पैरों की ओर जाने से रोकने के लिए शरीर में प्राकृतिक तौर पर वॉल्व की व्यवस्था की गई है। उम्र बढ़ने के साथ ये वॉल्व खराब हो जाते हैं और खून पैरों में जमा होने लगता है।
फायदेमंद हो सकता हैं कांप्रेशन सॉक्स
किडनी डिसीज किडनियां शरीर के विषैले तत्वों को रक्त में से छानकर बाहर निकाल देती हैं। यदि वे डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी किसी बीमारी की वजह से ठीक से काम नहीं कर रही हों तो खून में अधिक मात्रा में नमक जमा होने लगता है। रक्त में अधिक नमक होने की स्थिति में पानी जमा होने लगता है। गुरुत्वाकर्षण की वजह से पानी पैरों की ओर जमा होने लगता है और पैरों के साथ टखने भी सूज जाते हैं। क्या करें राइस यानी रेस्ट, आइस, कांप्रेशन और एलेवेशन इस समस्या में कारगर उपाय माने जाते हैं। मोच आने या ही टूटने की स्थिति में इन सभी को आजमाया जा सकता है। खासतौर पर बने एक्स्ट्रा टाइट मोजे जिन्हें कांप्रेशन सॉक्स भी कहा जाता है, उन्हें पैरों में पहन लेने से फायदा होता ह
-हार्टफेलियर दिल में कोई ब्लाकेज हो तो वह ब्लड ठीक से पंप नहीं कर पाता। यदि खून सही दिशा में प्रवाहित होना बंद हो जाए तो पैरों में इकट्ठा होने लगता है। इसी वजह से सूजन आ जाती है। दिल के रोगियों के भी पैरों में सूजन आने लगती है। इन लक्षणों पर ध्यान दें और मरीज को अस्पताल पहुंचा दें। पैदल चलने की कवायद करें हर घंटे में एक बार कुर्सी अथवा बिस्तर से उठें और थोड़ी चहलकदमी कर लें। इससे एक स्थान पर इकट्ठा हो चुका तरल पदार्थ शरीर के अन्य स्थानों पर बहने लगेगा। ऐसी कोई सी भी कसरत जिससे घुटने और टखनों द्वारा मेहनत की जा रही हो, वह पैरों की सूजन के लिए अच्छी मानी जाती है। डाइट में रोज 200 मिलीग्राम मैग्नेशियम को शामिल कर लें।
ये भी पढ़े: भाजपा के लिए बड़ी राहत, अध्यक्ष अमित शाह की अस्पताल से छुट्टी
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar