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जैन धर्म की कुछ खास बातें जो आपको भी कर सकती है सोचने पर मजबूर

Posted at: May 20 , 2018 by Dilersamachar 10621

दिलेर समाचार, जैन धर्म के अनुयायी दो तरह के होते हैं जिन्हें श्वेतांबर जैन और दिगंबर कहा जाता है।  श्वेतांबर जैन तन ढ़कने के लिए पतले से सफेद कपड़े का उपयोग करते हैं तो वहीं दिगंबर जैन दिशाओं को ही अपने वस्त्र मानते हैं और आजीवन नग्न रहते हैं। देश-विदेश में  जैन धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। जैन धर्म के अनुयायी सामाजिक जीवन से संन्यास लेकर दीक्षा लेते हैं और उन्हें संत के रुप में जीवन बिताना पड़ता है जो कि बेहद कठिन होता है।

जैन धर्म से जुड़े जैन धर्म के तथ्य बहुत ही रोचक होते हैं।

आइए जानते हैं जैन धर्म के तथ्य और कुछ नियमों के बारे में ।

जैन धर्म के तथ्य –

  • जैन समुदाय के लोग सबसे ज्यादा अमीर माने जाते हैं। अमेरीका में जैन कम्यूनिटी सबसे ज्यादा पैसे वाली मानी जाती है वहीं भारत में रहने वाले जैन सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे होते हैं। संसार में होने वाले हीरे के व्यापार पर 60 प्रतिशत नियंत्रण जैन कारोबारियों का है।

 

  • जैन धर्म में दयालुता को पहला स्थान दिया गया है। जैन धर्म में हत्या करना पाप माना जाता है। यहां तक की पेड़-पौधों, जानवरों और बैक्टीरिया तक को मारना पाप माना जाता है। यह धर्म आत्मा के अस्तित्व को मानता है और जीवन का एकमात्र लक्ष्य मोक्ष यानि की निर्वाण को मानता है।
  • जैन धर्म में व्रत रखने को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। ये कई-कई दिन लंबे समय तक व्रत रखते हैं। जैन धर्म में व्रत के नियम काफी कठोर होते हैं। पूरा दिन में सिर्फ एक बार पानी पीकर और बिना कुछ खाए ये व्रत करने पड़ते हैं। इनके व्रत रखने की अवधि 8 दिन से 30 दिन की भी हो सकती है। कभी-कभी मोक्ष प्राप्ति के लिए जैन धर्म के अनुयायी मृत्यु होने तक खाने-पीने का त्याग करते हैं। यह एक तरह से आमरण अनशन होता है जिसे ‘संथारा’ कहा जाता है इसे मोक्ष प्राप्ति का उपाय भी माना जाता है।

 

  • जैन धर्म के संस्थापकों को तीर्थंकर माना जाता है। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर माने गए हैं। भगवान महावीर को जैन धर्म का आखिरी तीर्थंकर माना गया था जिन्हें जैनधर्म के लोग भगवान के रुप में पूजते हैं। दिलवाड़ा के जैन मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए विश्व भर में जाने जाते हैं। हिंदू मंदिरों की तुलना में जैन मंदिर अधिक विशाल होते है।
  • जैन धर्म की दीक्षा लेने वाले जैन संतों का जीवन काफी कठिन होता है। दिगंबर जैन संत बिना वस्त्रों के रहते हैं, हर चीज हाथ में लेकर खाते हैं। किसी भी जगह जाने के लिए ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल नहीं करते और लंबी दूरी भी पैदल ही तय करते हैं। दिगंबर जैन भगवान महावीर के मौखिक ज्ञान का ही पालन करते हैं और जैन धर्म के लिखित ग्रंथों को नहीं मानते।

 

  • . श्वेताबंर जैन श्वेत रंग के पतले कपड़ों को पहन कर रहते हैं और मुंह पर पट्टी बांध कर रखते हैं। पट्टी बांधने के पीछे कारण होता है कि ये सांस के माध्यम से बैक्टिरिया का मुंह में जाना भी जीव हत्या के समान पाप का कार्य मानते हैं। इसलिए ये हर समय मुंह पर पट्टी बांध कर रखते हैं।
  • जैन धर्म में आलू, जिमीकंद, अदरक जैसे जमीन के नीचे पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित होता है क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में भी ये जीवों की उपस्थिति मानते हैं। सूर्य उदय और सूर्यास्त के बाद कुछ भी खाना-पीना जैन धर्म में वर्जित माना गया है। व्रत के दौरान भी ये दिनभर में सिर्फ संध्या के समय पानी पीते हैं।

 

ये है जैन धर्म के तथ्य – जैन धर्म आस्था, शांति, सौहार्द और जीव दया जैसे अद्भुत गुणों को अपना आदर्श मानता है। जैन धर्म के अनुयायी देश-विदेश में फैले हैं। जैन धर्म की दीक्षा लेने वाले संत इस धर्म का प्रचार-प्रसार करते हैं और भिक्षा मांगकर जीवन यापन करते हैं। ‘अहिंसा परमो धर्म’ जैन धर्म का मुख्य वाक्य है जिसके अनुसार माना जाता है कि अहिंसा करना ही परम धर्म है। जैन धर्म में किसी भी जीव को नुकसान पहुंचाना पूरी तरह से वर्जित माना गया है। वर्तमान में श्वेतांबर जैन के सबसे बड़े गुरु आचार्य महाश्रमण और दिगंबर जैन में मुनि विद्या सागर को वर्तमान में महागुरु के रुप में पूजा जाता है।

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