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आरोग्य-शिक्षा के लिए सरकार खोले संस्थान

Posted at: Jun 17 , 2018 by Dilersamachar 9814

 सुदर्शन भाटिया

दिलेर समाचार, ठीक है कि कुछ समाजसेवी संस्थाओं को आगे आ कर सर्वहित के लिए संस्थान खोलने चाहिएं। जहां पर आरोग्यता संबंधी पूरी शिक्षा व जानकारी उपलब्ध रहनी चाहिए मगर इस कार्य के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। उसे अस्पताल तो बनाने ही हैं, उन्हीं के साथ जुड़े या स्वतंत्रा रूप से काम करने वाले आरोग्य धाम भी खोलने चाहिए। ये अधिक उपयोगी होंगे।

त रोग हो जाए तो उस को पूरी तरह शरीर से हटाना कुछ कठिन कार्य है। क्यों न ऐसे उपाय करें कि रोग हो ही नहीं। इसीलिए तो आरोग्यधाम की आवश्यकता महसूस होने लगी है।

त जो समाजसेवी संस्था आगे आकर इस कार्य को सुचारू करना चाहें, उन्हें सरकार उत्साहित करे। कुछ अनुदान भी दे।

त चाहे सरकार खोले या स्वयं सेवी संस्थाएं, इन संस्थानों में बाकायदा कोर्स हों। क्लासिज़ हों। प्रैैक्टिकल हों। परीक्षाएं हों। सर्टिफिकेट हों। इन प्रमाण पत्रों की मान्यता भी हो।

त सरकार लोगों के स्वास्थ्य के लिए करोड़ों रूपया स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से खर्च करती है। वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाजेशन भी करोड़ों रूपया खर्च करती है। अनुदान भी देती है। क्यों न इस बड़े बजट का कुछ भाग आरोग्यधामों पर खर्च हो जो लोगों में जागरूकता पैदा करे। प्राकृतिक साधनों में जीना सिखाएं। रोगों को रोकने के, इन से बचने के तरीके सिखाए जाएं।

त लोगों को आरोग्य केंद्रों में आने, उन्हें स्वस्थ रहने के महत्त्व को समझाने, स्वास्थ्य रक्षा के उपाय बताए जाएं। उन्हें स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक साधन अपनाने के लिए मन से तैयार किया जाएं।

त इन आरोग्य संस्थानों में आरोग्य-शिक्षा पूरी तरह दी जाए जिसके लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञ भी कार्य करें।

त आरोग्यता से जुड़े खान-पान, आचार-व्यवहार के नियम बताए जाएं।

त ऐसी पुस्तकें, चार्ट, लघु पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। कुछ मुफ्त तो कुछ सस्ते दामों पर उन्हें दी जाएं। पढ़ने के लिए उधार भी दी जाएं।

त योग शिक्षा, योगासन, व्यायाम, मालिश, जल चिकित्सा, जल स्नान, धूप स्नान, भाप स्नान सब समझाएं जाने जरूरी हों।

त विशेषज्ञ विभिन्न क्षेत्रों में जाएं और आरोग्य रहने के लिए प्रचार करें। इन्हीं आरोग्य संस्थानों में कुछ समय तक रखने या दैनिक उपस्थिति देने का उचित प्रबंधन रहे। प्राकृतिक चिकित्सा की पूरी शिक्षा निःशुल्क देकर लोगों को अपने चिकित्सक स्वयं बनाएं।

रोग हो जाने पर, चोट लगने पर, शल्य चिकित्सा हेतु तो अस्पताल ज़रूरी हैं मगर रोग हों ही नहीं, इस के लिए ये आरोग्यधाम अधिक आवश्यक हैं। रोग को झेलने तथा इलाज करने की नौबत ही न आए, इस के लिए ही ऐसे संस्थानों का विशेष महत्त्व है। सरकार तथा स्वयंसेवी संस्थाएं इस ओर ध्यान दें।

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