दिलेर समाचार, लखनऊ। यह विश्व की आदि मुद्रा है जिसे लक्ष्मी की बहन कहते हैं। भारत में 1930 से पूर्व मुद्रारूप में प्रचलन में थी। कौड़ी समुद्री कीड़े का अस्थिकोष है। इसे साइप्रिया या देवाधिदेव कहते हैं, इसकी आकृति शिव की जटाओं से मेल खाती है अतः इसे कपार्दिन भी कहते हैं। मूलतः संस्कृत से कर्दप का रूप है, ये शिव के श्रंगार का एक अंग भी हैं। वैसे ये लोकोक्ति व मुहावरों में अधिक प्रचलित हैं। जैसे-कौड़ी-कौड़ी को मोहताज हो जाना, कौड़ी के मोल बिकना, दो कोड़ी का होना, दूर की कौड़ी आदि। कौड़ियों का धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, चिकित्सा, अर्थ, तन्त्र, रीति-रिवाज व टोटके में विशेष उपयोगी है।
· विश्व में 185 प्रकार की कौड़ियां होती हैं, जिनमें प्रिंस कौड़ी सर्वश्रेष्ठ है। कौड़ी मूल्यहीन है, किन्तु अपने गुणों के कारण अमूल्य बन गई है।
· कौड़ी 5 प्रकार की होती है। सुनहरे रंग की { सिद्धि}, धूमल रंग की {व्याघ्री}, पीठ पीली व सफेद पेट {मूंगी}, सफेद {हॅसी}, चितकबरी {विदांता} एक मतानुसार डेढ़ तोला वजनी कौड़ी लाभकारी, एक तेाला वजनी-मध्यम व इससे कम वनज साधारण कहलाती है।
· रोग नाशक-हॅसनी कौड़ी को जो श्वेत छोटी और हल्की होती है, हंसपदी में ताॅबे की मैल के साथ पीसकर इसमें भर दें। इस कौड़ी का ताबीज पहनने पर रोग दूर हो जाता है।
· स्तंभन-रविवार को घोड़े व खच्चर की पूॅछ का बाल तोड़कर कौड़ी में छेदकर उस बाल को पिरोकर किसी प्रकार दाहिनी भुजा में बाॅध लेने से स्त्री सुख पूर्ण मिलता है।
· नीवं भरते समय कौड़ी का प्रयोग-भवन बनवाते समय किसी कार्य में बाधा न आये इसके लिए नींव में 11 कौड़ियाॅ रख देनी चाहिए जिससे मकान बनने में कोई बाधा नहीं आयेगी।
· वाहन रक्षा के लिए-नए वाहन पर काले धागे/लाल धागे से कौड़ी बाॅध दी जाये तो बुरी नजर एवं दुर्घटना से रक्षा होती है।
· मकान की सुरक्षा हेतु-कई बार मकान अपने आप ढह जाता हैं या दरारें पड़ जाती है। इसकी रोकथाम के लिए एवं यदि किसी ने आपके घर पर कोई तान्त्रिक क्रिया करवाई है तो मकान की चैखट पर काले धागे से कौड़ियाॅ बाॅधने से पूरे भवन की रक्षा होती है।
· सन्तान प्राप्ति हेतु-जिन लोगों को सन्तान नहीं हो रही है, वे लोग पूजन स्थान में 11 कौड़ियां रखकर गोपाल यन्त्र की विधिवत पूजा करें तथा पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाकर पीले धागे में कौड़ी धारण करें।
· फीलपाॅव-जिन लोगों को फीलपाॅव की समस्या है, वह जातक सोलह दाॅत वाली पीली कौड़ी में छेद कर काले रंग के डोरे से फीलपाॅव से ग्रसित भाग पर बाॅधने से रोग धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
· नंपुसकता हेतु-चमेली के तेल में कौड़ी व असंगध डालकर लिंग पर मालिश करने पर कमजोरी दूर हो जाती है। कौड़ी की भस्म खाने से भी नंपुसकता दूर होती है।
व्यापार में प्रगति के लिए-शनिवार को एक कार्बन लेकर उसमें आग लगाकर दुकान में सिरे से चारों ओर शुरू करके पूरे क्षेत्र में अन्दर की तरफ घुमाये व 4 कौड़ियाॅ साथ रखकर कार्बन को बाहर फेंके व कौड़ी घुमाकर चारों दिशाओं में फेंके, जिससे व्यापार में प्रगति होती है।
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar