दिलेर समाचार, लिव इन रिलेशनशिप का प्रचलन बढ़ रहा है। शादी को लड़का-लड़की बंधन मानने लगे हैं और वे बिना शादी के साथ रहने लगे हैं। औरतें भी इसको अच्छा समझती हैं लेकिन वे भूल जाती हैं कि घाटे में औरत ही रहती है।
मर्द औरत एक ही घर में, एक ही छत के नीचे रहकर शारीरिक सम्पर्क से ज्यादा दिनों तक नहीं बच सकते। एक न एक दिन दोनों सेक्स का स्वाद जरूर चखेंगे। यह स्वाद ऐसा होता है कि एक बार चख लेने पर मन नहीं मानता।
शारीरिक संबंध बनाते समय औरत को हर समय सावधानी बरतनी पड़ेगी। अगर सावधानी नहीं बरती तो गर्भ रहने का खतरा बना रहेगा। अभी हमारा समाज बिना शादी के बच्चे की इजाज़त नहीं देता। कुंवारी मां बनने का मतलब है समाज में बदनामी। यह बदनामी औरत को ही नहीं, उसकी संतान को भी आजीवन भोगनी पड़ेगी
औरत जिस मर्द के साथ बिना शादी के रह रही है, शादी अगर उससे नहीं हुई तो उसका दांपत्य सुखी नहीं रहेगा। हर मर्द चाहता है, सुहागरात को उसकी पत्नी कुंवारी हो। मर्द चाहे शादी से पहले किसी भी औरत से सेक्स कर ले लेकिन चाहता यह है कि उसकी पत्नी के शादी से पहले किसी से सम्पर्क न रहे हों। शक के आधार पर पत्नी की हत्या या छोड़ देने के समाचार आये दिन अखबार में पढऩे को हमें मिलते हैं।औरत को जब बिना शादी के पराये मर्द या दोस्त के साथ रहने से परहेज नहीं है, शारीरिक सम्पर्क से परहेज नहीं है तो फिर शादी में क्या दिक्कत है? औरत जिस मर्द के साथ रह सकती है, सेक्स कर सकती है उससे शादी क्यों नहीं कर सकती?
शादी को बंधन समझना गलत है। शादी सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। शादी के बाद औरत को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। बिना शादी के औरत किसी मर्द के साथ रहे तो उसे हेय दृष्टि से देखा जाता है। उसे आवारा, बदचलन, गिरी हुई तक मानने से परहेज नहीं
करते।
शादी के बाद भी औरत अपना स्वतंत्र अस्तित्व कायम रख सकती है अपनी पहचान बना सकती है। अपने वृद्धि, कौशल और परिश्रम से समाज में अपना नाम ऊंचा कर सकती है।
मर्द औरत एक दूसरे के पूरक हैं। यह पूर्णता बंधन से ही है, बिना बंधन नहीं।
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