देवेन्द्र नाथ शुक्ल
दिलेर समाचार, सिगरेट-बीड़ी पीने वाला हर आदमी चाहता है कि उसकी यह आदत छूट जाए। फिर भी दुनियां के एक अरब से भी अधिक लोग इस बुरी आदत के शिकार हैं। ये लोग खरबों की संख्या में सिगरेट और करोड़ों रूपये हर साल धुआं बना के उड़ा देते हैं। विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों में इसके शिकार लोगों की संख्या काफी अधिक है।
इसके सेवन से होने वाले अपार नुकसान से हर धूम्रपान का आदी बखूबी वाकिफ है, फिर भी चूंकि एक बार लत पड़ जाने के बाद इसको छोड़ पाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए वह इन्हें नजरअंदाज करके पीता जाता है। तंबाकू का सेवन सिगरेट, बीड़ी, चिलम और हुक्के के रूप में जितना नुकसानदेह है, उससे कम हानिकारक पान और खैनी के रूप में नहीं हैं। हर साल तंबाकू के इन विविध रूपों में प्रयोग से दुनिया भर में 30 लाख लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं।
धूम्रपान करने से मुख्य रूप से तीन प्रकार के हानिकारक पदार्थ हमारे शरीर में जाकर अपने दुष्प्रभावों से हमें कई तरह के रोग का शिकार बना देते हैं। ये हैं निकोटीन, कार्बन मोनोआक्साइड, तथा टार। धूम्रपान से होने वाले रोगों में फेफड़ों का कैंसर और दमा मुख्य हैं। पान में और खैनी के रूप में तंबाकू का सेवन करने वालों को तो गले और मंुह के कैंसर होने की प्रबल संभावना रहती है।
धूम्रपान के दुष्प्रभावों से बच्चा, बूढ़ा, जवान, मर्द, औरत कोई भी नहीं बच सकता। यह हर आदमी को किसी न किसी रूप में प्रभावित करता है। अगर आप सिगरेट-बीड़ी नहीं पीते और आप के बगल में बैठा आदमी सिगरेट पी रहा है तो समझ लीजिए कि आप भी इसके बुरे प्रभावों से नहीं बच सकते बल्कि आप को और जल्दी इसका असर पड़ेगा क्योंकि आपके अंदर इसे सहने की क्षमता का विकास नहीं हुआ है।
रमेश और राजेश दोनों एक ही कार्यालय में समान पद पर कार्य करते हैं। फर्क बस इतना है कि रमेश सिगरेट नहीं पीता और राजेश पीता है। रमेश ऑफिस जाते समय जहां अपने कपड़े, दाढ़ी-मूंछ, जूते सब कुछ व्यवस्थित करके जाता है, वहीं राजेश की शर्ट में ऊपर का एक बटन हमेशा टूटा रहता है तो नीचे का एक बंद करने की उसे फुरसत ही नहीं मिलती। दाढ़ी-मूंछें हमेशा उसके अति व्यस्त होने का संकेत देती हैं। जूते तो शायद ही कभी पहनता हो। केवल चप्पल पहनेगा, वह भी साइड से टूटी होगी, पॉलिश करना तो बड़ी बात है लेकिन हां...राजेश के हाथ में एक जलता हुआ सिगरेट हमेशा देखने को मिलता है।
रमेश को उसकी वह आदत बिलकुल पसंद नहीं है। वह बार-बार उससे कहता रहता है कि ‘यार राजेश .... तू सिगरेट पीना छोड़ क्यों नहीं देता?’ इस पर वह सपाट सा जवाब देकर मुक्त हो जाता है कि ‘क्या करूं यार, आदत पड़ गई...छूटती ही नहीं।
इस बुरी लत के पीछे सबसे बड़ी गलती तो हमारी ही है लेकिन सिगरेट-बीड़ी बनाने वाली कंपनियां सरकारी नीति और बड़े-बड़े विज्ञापन भी कम दोषी नहीं है। अब सवाल उठता है कि क्या इसे छोड़ना संभव नहीं? और अगर संभव है तो कैसे?
अगर हम यह कहें कि सिगरेट-बीड़ी बनाने वाली कंपनियां सरकार बंद कर दे तो आसानी से यह लत छूट जायेगी, न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी तो सरकार तो ऐसा करने से रही क्योंकि उसे हर साल इन कंपनियों से एक मोटी रकम टैक्स के रूप में जो मिलती है। कंपनियां बंद करने से लाखों लोग बेरोजगारों की भीड़ में शामिल होकर सरकार के लिए सिरदर्द बन जाएंगे।
हां....अगर आप धूम्रपान सचमुच छोड़ना चाहते हैं तो वह काम आप ही के द्वारा संभव है और आसान भी है बशर्ते आप के दिल में दृढ़ निश्चय और खुद के प्रति ईमानदारी हो। अगर आप नीचे की बातों का पालन एक व्रत के रूप में कर सकें तो वह बुरी लत आसानी से छूट सकती है।
त मन में दृढ़ निश्चय करके कोई एक दिन निश्चित कर लें कि फलां दिन से सिगरेट बीड़ी नहीं पिएंगे।
इस बात की सूचना अपने यार-दोस्त और घर-परिवार वालों को भी दे दें।
निश्चित दिन से सिगरेट-बीड़ी की तरफ देखें तक नहीं, यहां तक कि उस दुकान की तरफ जहां से सिगरेट खरीदते हों, तब तक न जायें जब तक वह छूट न जाये।
इस दौरान हल्का एवं सुपाच्य भोजन भूख से कुछ कम ही लें। पानी खूब पिएं और बार-बार पिएं।
गर्मी में दिन में दो बार स्नान भी कर सकते हैं। सिगरेट पीने की जरूरत महसूस होने पर ठंडे पानी से मुंह धोकर लौंग, इलायची कुछ खाकर किताबें आदि पढ़ने में व्यस्त हो जाएं।
यह कभी न सोचें कि अच्छा एक बार पी लें, फिर नहीं पियेंगे।
जितने पैसे आप सिगरेट में खर्च करते थे, उतने पैसे रोज अलग एक जगह रखते जायें जिसकी जानकारी घर के सदस्यों को भी दें।
इन पैसों से आप बीच-बीच में अपने मां-बाप या बीवी-बच्चों के लिए कोई सामान खरीद कर ले आया करें। इससे आप को आत्मसंतुष्टि मिलेगी और परिवार भी खुशहाल बनेगा।
सिगरेट पीने से खर्च होने वाला समय कुछ लिखने-पढ़ने परिवार के साथ दो प्यार की बातें करके या एक किचन गार्डन बनाने में बिताएं।
इस तरह तब तक करते रहें जब तक पूर्ण रूप से वह आदत छूट न जाए।
इस प्रकार ऊपर की बातों को अपने जीवन में उतारकर आप भी रमेश की तरह एक निखरे ‘अप टू डेट’ इंसान बन सकते हैं। आप भी अपने परिवार और समाज में सब के चहेते बन सकते हैं।
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