दिलेर समाचार, गोरखपुर बीआरटी हादसे से अभी प्रदेश उभरा भी नहीं था कि एक और बड़ा हादसा हो गया। रायबरेली-एनटीपीसी हादसे की सबसे बड़ी खामी बाहर निकलकर सामने आई है। दरअसल जिस नए थर्मल पावर से भयंकर हादसा हुआ, उसे हाल में स्थापित किया गया था, उसका ट्रायल नहीं किया गया था। दूसरी खामी, निपुण विशेषज्ञों की राय के बिना ही प्लांट को लगाकर सीधे काम के लिए चालू कर दिया गया था।
सबसे बड़ी गलती एक और सामने आई है ब्वायलर के नीचे जलने वाली आग की राख पाइप से छनकर नीचे गिरती है लेकिन उसका पटला खोला ही नहीं गया। जब गरम राख ज्यादा एकत्रा हो गई तो दबाव के चलते भयंकर ब्लास्ट हो गया। ब्लास्ट की तेजगति इस कदर थी कि आसमान में अस्सी फिट ऊपर तक अंगारे उड़ने लगे। जब आग के गोले फटकर नीचे गिरे तो भयंकर हादसे में तब्दील हो गए। जब हादसा हुआ उस दौरान पूरे प्लांट में करीब चार सौ कर्मचारी काम पर थे। ये कंपनी के बताए आंकड़े हैं। संख्या ज्यादा भी हो सकती है। ओएनजीसी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा खुद मानते हैं कि किसी भी प्लांट का डमी-ट्रायल किया जाता है लेकिन रायबरेली स्थित अपनी छठी यूनिट में एनटीपीसी ने क्यों नहीं किया, कई सवाल खड़े करता है।
रायबरेली के ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी यानी नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन की बिजली उत्पादन इकाई का जो ब्वायलर फटा है वह हाल ही में स्थापित किया गया था। हादसा कैसे हुआ इसकी जांच की जा रही है लेकिन शुरूआती तौर पर कुछ खामियां निकल कर सामने आ रही हैं, जो चिंतित कर रही हैं। सवाल उठता है कि प्लांट को लगाने में तकनीकी विशेषज्ञों की राय क्यों नहीं ली गई? दरअसल अधिकारियों को इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि नई-नवेली 500 मेगावाट की छठी यूनिट इस तरह आग और शोलों से घिरकर मौत का मंजर दिखा देगी। यह शायद ही किसी ने सोचा होगा। हादसे के पीछे जिस किसी की भी खामी सामने आए उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। मरने वालों को पचास लाख तक मुआवजा देना चाहिए।
उत्तर प्रदेश पिछले कुछ समय से लगातार हादसों का शिकार हो रहा है। गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में सैंकड़ों बच्चों के मरने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि एक और बड़ा हादसा हो गया। देश में इस समय चुनावी माहौल बना हुआ है। इस हादसे पर भी राजनीति शुरू हो जाएगी। पहली बेहूदा और बेशर्म प्रतिक्रिया जनता दल यूनाइटेड के निलंबित राज्यसभा सांसद अली अनवर की तरफ से आई है। उन्होंने रायबरेली में एनटीपीसी में हुई दुर्घटना में असंवेदनशील बयान दिया है। अनवर कहते हैं कि अगर ये सरकार ब्वायलर पर गेरुआ रंग चढ़ा देती तो शायद दुर्घटना नहीं होती। इनको शर्म आनी चाहिए कि ऐसे मौकों पर तो कुछ ख्याल रखें। हादसे पर दुख जाहिर करने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी पहुंच रहे हैं। दरअसल वह इस समय गुजरात में चल रही अपनी नवसर्जन यात्रा में हैं लेकिन यात्रा को विराम देकर उत्तर प्रदेश के रायबरेली जाएंगे। जहां वह एनटीपीसी ऊर्जा संयंत्रा में हुए विस्फोट के मृतकों और घायलों के परिजनों से मिलेंगे।
प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी ने दुख जाहिर किया है। सोनिया गांधी भी दुखी हैं। यूपी सीएम ने मुआवजे के एलान के साथ उच्चस्तरीय जांच के आदेश भी दे दिए हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये और मामूली रूप से घायल हुए लोगों को 25-25 हजार रुपये देने को कहा है। मतलब जुबानी और कागजी जो भी कुछ किया जाना है, उसे फिलहाल किया जाएगा लेकिन इस सबके बीच उनका क्या जो इस हादसे में अपनी जाने गवां चुके हैं। किसी का भाई बिछड़ गया, किसी का सुहाग उजड़ गया। बच्चे अनाथ हो गए। उनका दर्द शायद ही कोई महसूस कर सके।
हमेशा से होता है आया है कि कंपनी प्रशासन की कमियों की वजह से अनगिनत लोगों की मौतें हो जाती हैं। हादसे के बाद कुछ दिन जांच होती है और जैसे-जैसे समय गुजरता है यादें भी धुंधली पड़ जाती हैं। यही इस हादसे पर भी होगा
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