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March 29 2024 05:10 PM

जेटली ने विकास को लेकर छपी खबर को झूठा ठहराया

Posted at: Oct 2 , 2017 by Dilersamachar 9696

 

दिलेर समाचार,विकास को लेकर आलोचना कर रहे लोगों पर टिप्पणी को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सफाई दी है. अरुण जेटली ने सोमवार को छपी खबरों को गलत करार देते हुए स्पष्टीकरण दिया कि मीडिया के एक धड़े ने उनके बयान को गलत ढंग से पेश किया.अरुण जेटली ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि भारतीय राजस्व सेवा अधिकारियों (आईआरएस) के 67वें बैच के पासिंग ऑउट कार्यक्रम में मेरे भाषण को मीडिया के एक वर्ग ने गलत प्रकाशित किया. जेटली ने कहा, 'मैंने ऐसी बात कही ही नहीं थी. मैंने कहा था, 'लोगों को विकास मांगने का हक है और कर चुकाना उनका कर्तव्य.' इस टिप्पणी को गलत ढंग से पेश किया.' इन ट्वीट्स के साथ वित्तमंत्री ने अपने भाषण का वीडियो पर साझा किया है.

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इससे पहले समाचार एजेंसी ANI ने खबर दी थी कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस कार्यक्रम में कहा कि जिन लोगों को देश का विकास चाहिए उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी होगी और इस पैसे को ईमानदारी से खर्च किया जाना जरूरी है.

दरअसल कस्टम एक्साइज और नारकोटिक्स के स्थापना दिवस और भारतीय राजस्व सेवा अधिकारियों के पासिंग आउट कार्यक्रम में बोलते हुए जेटली ने कहा कि राजस्व सरकार के लिए लाइफलाइन की तरह है और यह भारत को विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा.वित्तमंत्री ने कहा कि एक ऐसे समाज में जहां परंपरागत रूप से लोग टैक्स नहीं देने को शिकायत नहीं मानते, धीरे-धीरे टैक्स देने के महत्व को समझ रहे हैं, जोकि समय के साथ आता है. यह टैक्स व्यवस्था के एकीकरण का अहम कारण है. एक बार जब बदलाव स्थापित हो जाएगा. हमारे पास सुधार के लिए समय और स्पेस रहेगा. अर्थव्यवस्था के रेवेन्यू न्यूट्रल होने जाने पर हमें बेहतर सुधारों के बारे में सोचना होगा.

टैक्स अनुपालन पर जोर देते हुए जेटली ने कहा कि टैक्सेशन में कोई ग्रे एरिया नहीं है. टैक्स ऑफिसरों को दृढ़ और ईमानदार होने की जरूरत है ताकि जो लोग टैक्स दायरे में हैं वे भुगतान करें. और वे लोग जो टैक्स के दायरे से बाहर हैं उन्हें इसका बोझ न सहना पड़े उन्होंने कहा, 'जब अर्थव्यवस्था बढ़ रही थी तो भारत इनडायरेक्ट टैक्स पर चल रहा था. डायरेक्ट टैक्स एक खास वर्ग देता था, जबकि इनडायरेक्ट टैक्स का सब पर बोझ था. यही कारण है कि हम अपनी वित्तीय नीतियों में कोशिश करते हैं कि बेसिक उत्पादों पर कम से कम टैक्स लगे.'

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