Logo
April 20 2024 07:57 AM

हरियाली को हजम कर रहे पट्टेदार,मौनमुद्रा में दिख रहे जिम्मेदार

Posted at: Aug 4 , 2017 by Dilersamachar 11707

दिलेर समाचार, रिपोर्ट शिवकेश शुक्ला,अमेठी, "कनेक्ट विथ नेचर"सूबे की योगी सरकार कुछ इसी तरह का 'स्लोगन' के साथ प्रदेश को 'ग्रीन कवर' देने में जुटी है वही दूसरी ओर यूपी के अमेठी में कुछ चालाक किस्म के ग्रामीण जिस तरह से साठ-गांठ कर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण की जमीन पर खेती कर अपनी 'जेब का वजन' बढ़ाने जुटे है उससे अब ये लगता है कि इस जनपद में तो एक सन्त मुख्यमंत्री के 'ग्रीन प्रदेश' वाला सपना साकार नही हो पायेगा दरअसल ग्रामीण भारत के लिए मुख्य संसाधन भूमि है ऐसे में ग्राम पंचायत की ज़मीन का का़फी महत्व है.ग्राम पंचायत की ज़मीन अक्सर कई कामों के लिए पट्टे पर दी जाती है जैसे भूमिहीनों को आवास के लिए, कृषि, खनन या फिर वनीकरण के लिए आदि ।
क्या है पूरा मामला-
ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण हेतु पट्टे की जमीन पर सेटिंग का खेल और 'कागजी घोड़े'की रेस देखने के लिए हमारे संवाददाता राम मिश्रा ने मुसाफिरखाना तहसील के रंजीतपुर ग्रामसभा में रियल्टी चेक की तो पता चला कि कुछ चालाक ग्रामीण वृक्षारोपण के नाम पर पट्टा लेकर लगभग 12-13 वर्षो से खेती कर रहे हैं पड़ताल करने पर पता कि ग्राम पूरे पंडा रंजीतपुर निवासी हीरालाल पुत्र राम नरेश को 2004 अप्रैल में गाटा सँख्या 277 में लगभग 10 बिस्वा वृक्षारोपण के लिये पट्टा मिला था पट्टा तो वृक्षारोपण के नाम पर हुआ था लेकिन इनमें पौधे कभी नहीं रोपे गये यहां खेती की जा रही है हैरानी की बात यह है कि वृक्षारोपण के लिए जमीन वितरण के बाद कोई भी जिम्मेदार अधिकारी यहाँ नही पहुँचा जिसके चलते बेख़ौफ़ हीरालाल 'अनमोल रत्न' लगाने के बजाय अपनी जेब गरम करने में जुटा है ऐसे में तो उच्च अधिकारियों को चाहिए कि ऐसे सेटिंग बाज ग्रामीणों का पट्टा निरस्त कर उचित कार्यवाही करे ताकि प्रशासन को गुमराह करने वालो को सबक मिल सके ।
जमीन वितरण से पहले इस जमीन पर कभी घने जंगल हुआ करते थे जो मवेशियों के चारे व अनेकानेक जीव जंतुओं का आशियाना था जिनका अस्तित्व चन्द पैसे के लिये पूरी तरह से मिट गया है इस ग्रामसभा में तो अधिकतर जंगल खत्म हो गए हैं राजस्व विभाग नेे वृक्ष संरक्षण को गंभीरता से नहीं लिया है वृक्षारोपण के नाम पर पट्टा लेकर उस पर खेती करने वाले पूरी तरह से बेखौफ हैं तहसील प्रशासन ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया कई बार शिकायत की गईं हालात ऐसे बन गए हैं कि पेड़ रोपने की जगह पर खेती हो रही है स्थिति लगातार बदतर हो रही है।
अब तो यही लगता है वृक्षारोपण जैसी महत्वपूर्ण योजना के क्रियान्वयन के प्रति अधिकारी गम्भीर नहीं दिखाई दे रही है तभी तो इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने के बावजूद कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है और न ही कोई कारवाई की जा रही है कागजों पर पौधरोपण के नाम पर पट्टा होकर विगत 12-13 वर्षों से खेती की जा रही है और कही कोई जांच या निगरानी नहीं की गयी। पट्टे की इस जमीन पर वृक्षारोपण कागजों पर फल-फूल रही है इसके लिये कौन जवाबदेह है नौकरशाही, केन्द्र-राज्य की सरकारें या जनता-जर्नादन? अगर समय रहते नहीं चेता गया तो इस वनीकरण जैसी महत्वाकांक्षी योजना का बन्टाधार तय है।

बोले जिम्मेदार -
मामला संज्ञान में नही था मौके पर यदि ऐसा पाया गया तो उक्त पट्टे को शीघ्र ही निरस्त कर दिया जायेगा ।
                अभय पाण्डेय उपजिलाधिकारी मुसाफिरखाना

ये भी पढ़े: फिल्म के सीन के बहाने करने लगे असली में सेक्स सीन, और फिर जो हुआ सब देखते रह गए

Related Articles

Popular Posts

Photo Gallery

Images for fb1
fb1

STAY CONNECTED