दिलेर समाचार,मानव इतिहास में बहुत सी खोजें हुई हैं, भारत में 5000 वर्ष पुरानी हड़प्पा सभ्यता हो या फिर वह मिस्र के पिरामिड क्यों न हों। हमारा हिंदू धर्म जिसे पहले मात्र 12,000 वर्ष पुराना माना जाता है, इस खोज से अब इतिहासकारों और वैज्ञानिकों को ज़रूर समझना चाहिए कि वास्तव में हिन्दू धर्म कितना प्राचीन है।
इन्हीं में से एक दक्षिण जर्मनी में एक बहुत ही दुर्लभ खोज हुई, जिसने उस समय पूरे विश्व के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था। उन्हें एक “लायन-मैन” की मूर्ति मिली जो भगवान नरसिंह की प्रतिमा लगती है। तस्वीर में आप देख सकते हैं।
उस दुर्लभ खोज ने जो कि एक 32,000 वर्ष पुरानी मूर्ति है, उसने पुरी दुनिया के वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया था।
यह सन् 1930-35 के लगभग की बात है, जब जर्मनी के इतिहासकार वहां की बहुत पुरानी जगहों की खुदाई कर रहे थे। उन्हें वहां पर बहुत सी वस्तुएँ मिली थीं। पहले तो उन्हें उस जगह पर पक्षियों ,घोडों, कछुए, और कुछ शेरों के अवशेष मिले। बाद में गहन खोज करने पर उन्हें नरसिंह भगवान की एक दुर्लभ प्रतिमा मिली। यह स्वाभाविक था कि जिस जगह पर सिवाय जनवरों के अवशेषों के अलावा कुछ नहीं है, वहां पर इस तरह की दुर्लभ मूर्ति मिलना बहुत चमत्कारिक था। इस खोज नो उस समय सबको हैरत में डाल दिया।
इस मूर्ति को 1939 में नाम की गुफा में खोजा गया था।
सन् 1939 में जर्मनी और पूरे विश्व में दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया जिस कारण इस मूर्ति से पुरी दुनिया का ध्यान हट गया। फिर बाद में सन् 1998 में मूर्ति के सभी टुकड़ों को जोड़कर उसे नया रूप दिया जो बिल्कुल भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की तरह लग रही थी।
भगवान विष्णु ने एक हिरण्यकश्यपु राक्षस को मारने के लिए नरसिंह का रूप धारण किया था। नरसिंह रूप का अर्थ होता है – आधा शेर और आधा मनुष्य। वेदो और शास्त्रों में इस घटना का पूरा वर्णन मिलता है।
यह खोज वास्तव में बहुत अद्भुत है, लेकिन इतिहासकरों और खोजकर्ता इस बात को अभी तक समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या है वास्तव में भगवान नरसिंहदेव की प्रतिमा है और यदि है तो वह आज जर्मनी में क्यों मिली है? साधारणत: भगवान विष्णु के मंदिर एशिया में है और मूर्ति का युरोप में मिलना सभी को हैरानी में डाल देता है।
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