दिलेर समाचार, भोपाल। मध्यप्रदेश की भावांतर भुगतान योजना को हरियाणा के बाद गुजरात भी लागू कर सकता है। इसके लिए गुजरात सरकार ने अपने अपर मुख्य सचिव संजय प्रसाद को योजना समझने भोपाल भेजा है। प्रसाद ने शुक्रवार को मंत्रालय में कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ लंबी बैठक की।
उन्होंने प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा को गुजरात कैबिनेट में आकर योजना का प्रस्तुतिकरण करने का न्यौता भी दिया। हालांकि, आमंत्रण लिखित तौर पर नहीं दिया गया है इसलिए डॉ.राजौरा ने हामी नहीं भरी है। वैसे भी इसके लिए पहले मुख्यमंत्री से इजाजत लेनी होगी।
सूत्रों के मुताबिक गुजरात सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लगभग साढ़े चार हजार करोड़ रुपए की नौ लाख मीट्रिक टन मूंगफली खरीदी है। सरकार अब खरीदी में लगने वाले व्यवस्था से बेहतर मध्यप्रदेश के भावांतर भुगतान के मॉडल को मान रही है।
इसमें सरकार पूरी तरह से फ्री रहती है। उसे न तो खरीदी करनी है और न ही भंडारण या अन्य कोई इंतजाम करना है। दो राज्यों की अधिकृत मंडियों में संबंधित उपज के जो प्रचलित भाव हैं, उनका औसत निकालकर औसत दर घोषित कर दी जाती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर औसत दर के बीच जो अंतर आता है, उसका भुगतान सरकार किसानों को अंतर की राशि के तौर पर कर देती है। इससे जहां किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की गारंटी मिल जाती है। शुक्रवार को प्रदेश के इस मॉडल को गुजरात सरकार के अधिकारियों ने समझा। अपर मुख्य सचिव संजय प्रसाद ने बैठक के बाद प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा को गुजरात कैबिनेट के सामने योजना का प्रस्तुतिकरण देने आने का न्यौता दिया।
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