दिलेर समाचार, देशभर की एसआरएल लैब्स में 2015 से 2017 के दौरान 4.24 लाख लोगों पर यह जांच की गई। जांच में चार मानक एसजीपीटी, एसजीओटी, एएलपी व बाइलीरूबिन और टोटल प्रोटीन एवं एल्बुमिन के विश्लेषण के आधार पर यह परिणाम सामने आए हैं। एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के एडवाइजर और मेंटॉर डॉ बी.आर. दास ने कहा, 'भारत में मोटापे, शराब के बढ़ते सेवन और यकृत संक्रमण के कारण लिवर की बीमारियां बढ़ रही हैं। साथ ही लिवर रोग अब बड़ी उम्र तक ही सीमित नहीं रहे, 40 से कम उम्र के लोग भी लिवर रोगों का शिकार हो रहे हैं। हालांकि लिवर रोग के लक्षण तब तक साफ नहीं दिखाई देते, जब तक कि रोग अपनी अडवान्स्ड अवस्था में नहीं पहुंच जाता। इसलिए जल्द से जल्द रोग का निदान बहुत जरूरी है।'
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लिवर रोग कई देशों में मृत्यु का सबसे आम कारण है। इस दृष्टि से भारत 10वें स्थान पर है। हर साल देश में लिवर सिरहोसिस के 10 लाख नए मामलों का निदान किया जाता है। इस तरह साल दर साल भारत में लिवर रोगों के मामलों में होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। डॉ. दास ने कहा, 'लिवर एक संवेदनशील अंग है, जब तक इसकी बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक रोग बहुत आगे बढ़ चुका होता है। इसलिए नियमित रूप से स्वास्थ्य-जांच करवाते रहना जरूरी है, ताकि बीमारी का निदान जल्द से जल्द हो जाए और समय पर इलाज शुरू किया जा सके।'
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