दिलेर समाचार, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच लगातार चलने वाली तनातनी के बीच आज बच्चो की शिक्षा के सवाल पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल एक प्लेटफार्म पर खड़े नज़र आये. अभिभावकों से फीस बढ़ाकर वसूली गई राशि को न लौटाने की स्थिति में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने स्कूलों के अधिग्रहण की बात कही थी. मुख्यमंत्री के आदेश पर जब सिर्फ 17 स्कूलों ने ही बढ़ी हुई फीस लौटाई तो उप राज्यपाल अनिल बैजल ने आज दिल्ली के उन 449 निजी स्कूलों के अधिग्रहण के प्रस्ताव को सिद्धांतत: मंजूरी दे दी है.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली के स्कूलों को आदेश दिया था कि वह स्कूलों की फीस नहीं बढ़ाएं और शिक्षा की गुणवत्ता में भी कमी नहीं की जाए. मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद दिल्ली के 1108 स्कूलों में से 544 स्कूलों ने वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कराने के नाम पर अभिभावकों से फीस बढ़ाकर वसूल ली.
नाराज़ केजरीवाल ने स्कूलों को अल्टीमेटम दिया कि अगर उन्होंने ज्यादा वसूली गई फीस नहीं लौटाई तो सरकार स्कूलों का अधिग्रहण कर लेगी. इस अल्टीमेटम के बाद भी सिर्फ 17 स्कूलों ने बढ़ी हुई फीस लौटाई. बाकी बचे हुए स्कूलों के लिए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बढ़ी हुई फीस नहीं लौटाने पर अधिग्रहण का प्रस्ताव भेज दिया. दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव पर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने स्कूलों के अधिग्रहण प्रस्ताव को सिद्धांतत: अपनी मंजूरी देते हुए कहा कि प्रक्रिया का पालन करते हुए ऐसे कदम उठाये जाने चाहिए. ताकि बच्चों की पढ़ाई और उसकी गुणवत्ता प्रभावित नहीं हो.
दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो के माँ-बाप लगातार यह आवाज़ उठा रहे थे कि मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने से उन्हें दिक्कत हो रही है. सरकार ने अभिभावकों की दिक्कत को महसूस करते हुए स्कूलों पर अंकुश लगाने के मकसद से जस्टिस अनिल देव सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार निजी स्कूलों के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने के मूड में नहीं है लेकिन स्कूलों की फीस को लेकर जस्टिस अनिल देव सिंह समिति की सिफारिशों को मानना ही होगा.
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