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सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से घरों में घुसने लगा पानी, मेधा पाटकर के साथ जल सत्याग्रह पर बैठे लोग

Posted at: Sep 16 , 2017 by Dilersamachar 10102

दिलेर समाचार,बेहतर पुनर्वास किए बिना सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से डूब में आ रहे नर्मदा घाटी के प्रभावितों ने शुक्रवार से नर्मदा नदी के घाट पर सत्याग्रह शुरू किया जो शनिवार को जल सत्याग्रह में बदल गया. नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर सहित 35 से ज्यादा महिलाएं जल सत्याग्रह कर रही हैं.

बता दें कि सरदार सरोवर का जलस्तर बढ़ाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी स्थित धार, बड़वानी, सहित अन्य इलाकों के 192 गांव और एक नगर का डूब में आना तय माना जा रहा है. धीरे-धीरे जल स्तर बढ़ रहा है और कई गांवों में पानी भी भरने लगा है. इसके बावजूद प्रभावित गांव के लोगों ने अब तक घर नहीं छोड़े हैं.

लगातार बढ़ रहे पानी में बैठे हैं जल सत्याग्रही

बेहतर पुनर्वास और मुआवजा दिए बिना सरदार सरोवर की ऊंचाई बढ़ाए जाने का लोग विरोध कर रहे हैं. इसी के तहत मेधा पाटकर ने शुक्रवार से सत्याग्रह शुरू किया , वे नर्मदा नदी के छोटा बड़दा गांव के घाट पर बैठी हैं, जहां पानी लगातार बढ़ रहा है, स्थिति यह है कि उनका सत्याग्रह जल सत्याग्रह में बदल गया है.

'हजारों परिवारों की जलहत्या की तैयारी'

मेधा का कहना है कि लोग नर्मदा के पानी में डूबकर जान दे देंगे, मगर हटेंगे नहीं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को धूमधाम से मनाने के लिए हजारों परिवारों की जलहत्या की तैयारी हो रही है. यह कैसा जश्न है कि एक तरफ लोग मरने की कगार पर होंगे और गुजरात में 17 सितंबर रविवार को जश्न मनाया जाएगा. यह दिन देश के सबसे बुरे दिनों में से एक होगा.

समाजिक कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने बताया कि आंदोलनकारियों ने मेधा के नेतृत्व में पूरी रात पानी में रहकर गुजारी है और शनिवार की सुबह भी सभी आंदोलनकारी नर्मदा के जल में बैठे हुए हैं.

छोटा बड़दा में बारिश से बढ़ रहा पानी

कुक्षी की उपमंडल अधिकारी ऋषभ गुप्ता ने बताया कि क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है इसलिए जल स्तर बढ़ गया है. डूब प्रभावित लोग स्वेच्छा से अपने घरों को छोडकर जा रहे है. जानमाल की रक्षा सुरक्षा के लिए 12 नौका और एनडीआरएएफ की टीम सक्रिय है. हमने 4 बोट और मांगी है जो दो कुक्षी और दो मनावर में तैनात रहेंगी.

इस बीच एनबीए और अन्य संगठनों शुक्रवार को अंजड़ से छोटा बड़दा गांव तक विरोध यात्रा निकाली. इसमें माकपा नेता सुभाषिनी अली और नेशनल अलॉयंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट की संयोजक अरूंधती धूव भी शामिल हुई.

अपने जन्मदिन पर PM मोदी करेंगे डैम का उद्घाटन

धूव ने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर 17 सितम्बर को सरदार सरोवर बांध परियोजना का उद्घाटन करने वाले हैं. इसलिये बांध के सभी गेट बंद कर दिये गये हैं, ताकि मोदी को जलाशय पानी से पूरा भरा नजर आये.’’

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांध प्रभावितों का उचित पुर्नवास किये बिना ही उन्हें अपने घरों से हटाया जा रहा है. इनमें से अधिकांश ने जलस्तर बढ़ने के बावजूद भी अपने घर नहीं छोड़े हैं. जलस्तर बढ़ने से निसरपुर कस्बे के कुछ इलाकों सहित चिखल्दा, धर्मरी और ककराना गांव पानी में डूब गये हैं.

हाथों हाथ पैसे देकर हटाए जा रहे लोग

घुटने तक पानी आने के बाद भी सुबह निसरपुर के मोहनलाल प्रजापति ने अपना घर छोड़ने से इंकार कर दिया. पानी में खाट के ऊपर बैठे मोहनलाल ने कहा, ‘‘मुझे अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. मैं तभी यहां से हटूंगा जब मुझे मुआवजा मिलेगा.’’

दूसरी ओर गुप्ता ने कहा, ‘‘मोहन के खाते में 3 लाख रूपए डाल दिए है और 2.80 लाख रूपए मकान तोड़ने पर मिल जाएगे. इस प्रकार उसे खाते में 5.80 लाख रूपए पहुंच जायेंगे. जब हम लोगों ने मोहन प्रजापति को यह बात समझाई तो वह डूब क्षेत्र छोड़ने के लिए सहमत हो गया. तत्काल हमने एनडीआरएएफ की टीम को निर्देश देकर उसको वहां से निकाल लिया है.’’

300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया

मध्य प्रदेश के दो जिलों में सरदार सरोवर बांध के बैक वॉटर का स्तर शुक्रवार को 128 मीटर के पार पहुँचने से निचले इलाकों में जल भराव हो गया और 300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. ये इलाके गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में आते हैं.

संभागायुक्त संजय दुबे ने बताया, "धार और बड़वानी जिलों में बांध के बैक वॉटर का स्तर बढ़ने के मद्देनजर हम नर्मदा तट के पास स्थित निचले इलाकों में बसे लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुँचाने में उनकी मदद कर रहे हैं. अब तक इन इलाकों के 300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया जा चुका है."

दुबे ने स्पष्ट किया कि धार और बड़वानी जिलों में बांध के बैक वॉटर का स्तर पिछ्ले कई दिनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वहां एकाएक बाढ़ आने जैसी कोई स्थिति नहीं है. उन्होंने बताया कि जल भराव के कारण जिन निचले इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, उनमें चिखल्दा गांव और निसरपुर कस्बा शामिल है.

डूब क्षेत्र में अब भी डटे हुए हैं हजारों लोग

बहरहाल, सूत्रों के मुताबिक बांध परियोजना से विस्थापित होने वाले हजारों लोग इस नदी के किनारों की अपनी मूल बसाहटों में अब भी डटे हैं. सरकारी अमला इन लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से डूब क्षेत्र खाली करने की गुजारिश कर रहा है. आने वाले दिनों में बाँध के बैक वॉटर का स्तर और बढ़ने पर मध्यप्रदेश के धार, बड़वानी, अलीराजपुर और खरगोन जिलों के उन इलाकों के आंशिक रूप से जलमग्न होने का खतरा है, जो नर्मदा नदी के एकदम पास बसे हैं.

प्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि बड़वानी जिले के राजघाट गांव में बांध के बैक वॉटर का स्तर खतरे का निशान पार करते हुए 128 मीटर के पार पहुंच चुका है. इस गाँव में खतरे का निशान 123.28 मीटर पर है.

राजघाट का पुराना पुल डूबा

उन्होंने बताया कि जलस्तर बढ़ने से बड़वानी और धार जिलों के जोड़ने वाला राजघाट का पुराना पुल पहले ही डूब चुका है. अधिकारी ने बताया कि गुजरात में बने सरदार सरोवर बांध में भरे पानी का स्तर भी 128 मीटर को पार कर गया है, जबकि इस बाँध को लगभग 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरा जा सकता है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सरदार सरोवर बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने से आने वाली डूब के कारण मध्यप्रदेश के 141 गाँवों के 18,386 परिवार प्रभावित होंगे. सूबे में बाँध विस्थापितों के लिये करीब 3,000 अस्थायी आवासों और 88 स्थायी पुनर्वास स्थलों का निर्माण किया गया है.

40,000 परिवारों को झेलनी होगी विस्थापन की त्रासदी

नर्मदा बचाओ आन्दोलन का दावा है कि बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने की स्थिति में सूबे के 192 गाँवों और एक कस्बे के करीब 40,000 परिवारों को विस्थापन की त्रासदी झेलनी पड़ेगी. संगठन का यह भी आरोप है कि सभी बांध विस्थापितों को न तो सही मुआवजा मिला है, न ही उनके उचित पुनर्वास के इंतजाम किये गये हैं.

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