सीतेश कुमार द्विवेदी
दिलेर समाचार, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर एवं पथरी तीन ऐसी बीमारियां हैं जिसके कारण किडनी की बीमारियां तेजी से बढ़ती जा रही हैं। जो 50 वर्ष की आयु के आसपास हैं, शुगर एवं बी.पी. के मरीज हैं, धूम्रपान करने के आदी हैं, दर्द निवारक दवा अधिक लेते हैं, उन्हें किडनी की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए। शुगर एवं हृदय रोग के बढ़ते खतरों के बीच देश तेजी के साथ दीर्घकालिक किडनी रोग (क्रानिक किडनी डिजीज सीकेडी) के शिकार होते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे महामारी की आहट मानते हैं।
दीर्घकालिक किडनी डिजीज से पीडि़तों में से 40 से 45 प्रतिशत डायबिटिज, 20 से 25 प्रतिशत बी. पी., हृदय रोग एवं शेष पथरी एवं अन्य कारणों से इसके शिकार हैं जबकि यहां गुर्दा रोग से पीडि़त रोगियों में से मात्रा एक प्रतिशत ही उपचार का बोझ उठा पाने में सक्षम हैं। वहीं देश में 16 लाख लोगों के अनुपात में मात्रा एक गुर्दा रोग विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध है। इसी कारण यहां बहुत कम लोगों का किडनी प्रत्यारोपण हो पाता है।
विश्व में 60 करोड़ लोग गुर्दे की बीमारियों से पीडि़त हैं। इनमें से 4 करोड़ लोग भारत में हैं जो गुर्दे की बीमारियों, मधुमेह एवं रक्तचाप से ग्रस्त हैं तीस प्रतिशत मधुमेह रोगियों को गुर्दे के काम नहीं करने जैसी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। यहां के मधुमेह रोगी प्रति वर्ष लगभग बारह हजार करोड़ रूपए डायलिसिस पर व्यय कर रहे हैं। किडनी की अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक
दोनों ही बिमारियां जानलेवा बन जाती हैं।
किडनी की बीमारियों के कारण:-
स बी. पी. एवं हृदय रोग का बेकाबू होना।
शुगर का लगातार बढ़ा रहना।
किडनी में पथरी।
धूम्रपान एवं नशापान की अधिकता।
दवाओं का अधिक सेवन।
विष बाधा, विषैले पदार्थ एवं रसायनों का सेवन।
शरीर में पानी का कम होना, पानी कम पीना।
किसी बीमारी का दीर्घकालिक हो जाना।
किडनी की बीमारियों के संकेत:-
खून की कमी, अनीमिया, खून का पतला होना।
थकावट, कमजोरी, सांस फूलना एवं बेहोश हो जाना।
खाने में अरूचि, भूख कम लगना, वजन गिरना।
मिचली, उल्टी, उबकाई आना।
पेशाब का कम ज्यादा होना और इसमें तकलीफ होना।
चेहरा, हाथ, पैर एवं शरीर में सूजन।
हड्डियों में दर्द होना।
पेशाब करते समय पीड़ा होना, प्रोटीन एवं खून जाना।
किडनी के रोगों का उपचार:-
संकेतों की अधिकता की स्थिति में डॉक्टर से मिलें। खून की जांच कराएं।
जिम्मेदार रोगों पर नियंत्रण रखें।
खाने-पीने की चीजों से परहेज करें।
दवा लें, उपचार कराएं।
समय पर डायलिसिस कराएं।
शीघ्र दवा, उपचार से किडनी ठीक हो सकती है।
नमक, शक्कर, तेल, घी कम कर दें।
उबला पानी निर्धारित मात्रा में लें।
डिब्बाबंद, बोतलबंद, जंक फूड एवं बाहरी चीजें न खाएं।
फलियां एवं दालें न्यून कर दें।
खट्टी चीजें व मांस त्याग दें।
सलाद व जूस न के बराबर लें।
अचार, पापड़ एवं नमकीन चीजें न खाएं।
तरल पदार्थ डाक्टर की सलाह से लें।
कोई भी दवा डॉक्टर की सहमति से लें।
बेकरी आयटम न लें।
सेब, पपीता, अमरूद, नाशपाती खाएं।
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