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स्मार्ट फ़ोन की स्मार्टनस कर रही है हमें डम्बर!

Posted at: Feb 23 , 2018 by Dilersamachar 9645

दिलेर समाचार, सब कुछ तो फ़ोन में स्टोर है याद रखने की क्या ज़रूरत ज़रा सोचिये आप इस बात के लिए आश्वस्त है की फ़ोन में सब कुछ है और उसी पल फ़ोन बंद पड़ जाए. रुक जायेंगे न आपके सारे काम.

आज स्मार्ट फ़ोन, टेबलेट और भी ना जाने कितनी तरह के इलेक्ट्रोनिक यंत्रो के आने जाने से जहाँ हमारा जीवन बहुत आसान हुआ है वही इन यंत्रों पर अतिनिर्भरता की वजह से कई नुक्सान भी हो रहे है.

आज हर किसी के पास स्मार्ट फ़ोन होता है और स्मार्ट फ़ोन का मतलब फ़ोन नंबर से लेकर पर्सनल फोटोग्राफ और अकाउंट डिटेल्स सब कुछ.

मान लीजिये किसी मुसीबत में फंस गए हो और घर फ़ोन करना हो और फ़ोन की बैटरी जवाब दे जाए तो ?

पहले तो ऐसा था कि अधिकतर सबको फ़ोन नंबर याद होते थे पर जैसे जैसे स्मार्ट फ़ोन का चलन बाधा लोगों के नंबर याद करना छोड़ दिया.

चलिए एक और किस्सा सुनाता हूँ जेब में पैसा लेकर चलने की आदत तकरीबन छूट ही गयी है क्योंकि क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड और ATM के ज़माने में पैसा कौन लेकर घुमे.

फ़र्ज़ करो कि किसी दिन कार्ड नहीं चले या कहीं ऐसी जगह गाडी ख़राब हो जाए जहाँ ATM न हो तो क्या करोगे.

स्मार्ट डिवाइस जिंदगी आसान बनाने के लिए होते है पर उन पर पूरी तरह निर्भर हो जाना गलत है.

 

स्मार्ट डिवाइस पर अतिनिर्भरता के ये थे कुछ नुकसान जो शायद इतने बड़े और गंभीर नहीं है लेकिन जिस नुक्सान की अब बात की जा रही है वो बहुत बड़ा नुक्सान है. इस नुक्सान के लक्षण दिखाई भी देने लगे है .

सोच रहे होंगे ऐसा क्या नुक्सान है ?

वो नुक्सान है दिमाग का इस्तेमाल कम करना और इन यंत्रों पर अधिक निर्भर हो जाना. कितने लोग है जो इन स्मार्ट डिवाइस पर कुछ पढ़ते लिखते है ? पढ़ना लिखना तो छोडो आज कल तो लोग सोचना समझना भी बंद कर चुके है. विश्वास नहीं होता न.

चलिए विशवास दिलाते है व्हाट्स अप, फेसबुक, ट्विटर या ऐसी ही किसी और सोशल मीडिया साईट के मार्फ़त जो भी आता है अधिकतर लोग उसे बिना सोचे समझे, बिना पता लगाए सच मान लेते है. सच तो माते है वो अलग बिना सोचे समझे उस झूठ या अफवाह को आगे से आगे भेजते रहते है. इस तरह ना जाने कितनी गलतफहमियां बढती है, कितने झगडे और कितना ज़हर भर दिया जाता है इंसानों में.

दुष्प्रचार और झूठ फ़ैलाने का सबसे सरल और सबसे प्रभावी तरीका बन गया है ये.

इसका सबसे ताज़ा उदाहरण याकूब मेमन की फांसी पर उपजा विवाद है. लोग इसे हिन्दू मुस्लिम से जोड़ रहे है. झूठे तथ्य फॉरवर्ड किये जा रहे है. घृणा फ़ैलाने वाले लोगों को इतना आसन तरीका मिल गया है. न कहीं भीड़ इकट्ठी करने की ज़रूरत न पकडे जाने का भय, बस कुछ फॉरवर्ड करो और मुर्ख लोग आँख बंद कर भरोसा करने लगेंगे.

इसके अलावा चोरी, झांसा आदि के किस्से भी बहुत सुनने को मिलते है. स्मार्ट फ़ोन या इसी तरह के यंत्र में आमतौर पर हम अपनी सारी जानकारी संभल कर रखते है, चोरी हो जाने या खो जाने पर ये महत्वपूर्ण जानकारी गलत हाथों में पड़ सकती है. इसी प्रकार ये यंत्र इतने सुरक्षित नहीं होते इनसे जानकारी चुराना मुश्किल काम नहीं होता.

देखा आपने कैसे इन स्मार्ट फ़ोन पर अतिनिर्भरता की वजह से आप छोटी बड़ी कई तरह की मुसीबतों में फंस सकते है.

इसका ये मतलब भी नहीं कि हम इनका इस्तेमाल बंद कर दे, ये सब यंत्र हमारी सुविधा और हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए बनाये गए है.

इनका इस्तेमाल करना चाहिए पर साथ ही इनको इस्तेमाल करते समय अपने दिमाग का भी इस्तेमाल करना चाहिए.

इसलिए अगली बार ध्यान रखियेगा कि कहीं ऐसा तो नहीं स्मार्ट फ़ोन स्मार्ट से स्मार्टर होते जा रहे है और हम डम्ब से डम्बर!.

ये भी पढ़े: Quantum Leap – ऐसा गेम जो आपने पहने कभी सोचा नहीं होगा

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