दिलेर समाचार, नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बजट की राशि नया वित्त वर्ष शुरू होते ही खर्च के लिए उपलब्ध हो और समय पर इस्तेमाल किया जाए, यह सुनिश्चित करने को सरकार ने आम बजट फरवरी के अंतिम दिन पेश करने के बजाय पहले दिन पेश करने का फैसला किया था। लेकिन सरकारी तंत्र के सुस्त रवैये के चलते यह कोशिश पूरी तरह परवान नहीं चढ़ पा रही है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों में बजट राशि के व्यय का अनुपात पिछले साल के मुकाबले कम बना हुआ है।
कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स यानी सीजीए के अनुसार वित्त वर्ष 2018 -19 के अप्रैल और मई में आम बजट में आवंटित कुल राशि 24.42 लाख करोड़ रुपये में से मात्र 19 प्रतिशत ही खर्च हुई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों में यह आंकड़ा 21 प्रतिशत से अधिक था। खास बात यह है कि कई मंत्रालय तो इन दो महीनों में उनके सालभर के बजट की मात्र पांच प्रशित राशि ही खर्च कर पाए हैं। उदाहरण के लिए पूवरेत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, जिसको चालू वित्त वर्ष के आम बजट में भारी भरकम 3000 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं, लेकिन यह मंत्रालय मई तक मात्र 160 करोड़ रुपये यानी आवंटित राशि का मात्र पांच प्रतिशत ही खर्च कर पाया है। पिछले वित्त वर्ष में मंत्रालय ने इस अवधि में बजट में आवंटित राशि में से 16 प्रतिशत खर्च की थी। यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाता है, क्योंकि मोदी सरकार का पूवरेत्तर क्षेत्रों पर काफी फोकस है। ऐसे में चुनावी साल में बजट की राशि समय पर खर्च न होना सरकार के लिए चुनौती साबित हो सकती है।
द्य प्रसंस्करण मंत्रालय भी चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित 1400 करोड़ रुपये की राशि में से मात्र चार प्रतिशत ही खर्च कर पाया है। यही हाल भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय का है। श्रम और रोजगार मंत्रालय भी अपने बजट की मात्र सात प्रतिशत राशि अब तक खर्च कर पाया है। यही हाल अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का है, जो आवंटित बजट की मात्र एक प्रतिशत राशि ही शुरुआती दो महीनों में खर्च कर पाया है। पर्यटन मंत्रालय भी आवंटित बजट राशि में से मात्र चार प्रतिशत ही खर्च कर पाया है।
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