दिलेर समाचार,सरकार ने गुरूवार को घोषणा की कि न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर विदेश मंत्री उनके पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी की मुलाकात होगी। ।
2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के बाद दोनों देशों की बातचीत ठहर गयी थी। उसके बाद दोनों देशों के बीच यह पहली ऐसी उच्चस्तरीय बातचीत होगी। भारत उस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात होने की घोषणा की। उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि यह भारत-पाक वार्ता की बहाली नहीं है और पाकिस्तान के अनुरोध के बाद भारत मुलाकात के लिए सहमत हुआ है।
रवीश कुमार ने जोर दिया कि इस फैसले से सीमापार आतंकवाद के बारे में देश के रूख में कोई बदलाव नहीं आया है।यह मुलाकात अगले सप्ताह होने की संभावना है और उम्मीद है कि भारत पाकिस्तानी धरती से पनपने वाले आतंकवाद का मुद्दा जोरशोर से उठाएगा।
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा कई आतंकी हमलों के बाद भारत ने सितंबर 2016 में नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमले किए। इसके बाद दोनों देशों के संबंध और खराब हो गए थे। ।
रवीश कुमार ने संवाददाताओं से बातचीत में जोर दिया कि उन्हें मुलाकात और वार्ता के बीच अंतर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद पर हमारे रूख की बात है तो उस नीति में कोई भी बदलाव नहीं आया है।
दोनों विदेश मंत्रियों की आखिरी बैठक दिसम्बर 2015 में इस्लामाबाद में हुयी थी जब सुषमा ‘‘ हर्ट ऑफ एशिया’’ सम्मेलन में भाग लेने के लिए वहां गयी थीं। उन्होंने उस समय के पाकिस्तानी विदेश मंत्री सरताज अज़ीज़ से मुलाकात की थी।
कुमार ने कहा किराष्ट्र महासभा के दौरान दक्षेस के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी शामिल होंगी।भारत कहता रहा है कि सीमा पार से आतंकवाद को रोकने तक पाकिस्तान के साथ समग्र वार्ता नहीं हो सकती है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखे जाने के बाद भारत सुषमा-कुरैशी मुलाकात के लिए सहमत हुआ। इसी तरह का एक पत्र पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भी लिखा था।
उन्होंने कहा कि न्यूयार्क में दोनों देशों के स्थायी मिशनों द्वारा बैठक के लिए तारीख को अंतिम रूप दिया जा रहा है और बैठक का एजेंडा अभी तय नहीं हुआ है। ।
सुषमा 22 सितंबर को न्यूयार्क के लिए रवाना होंगी और 30 सितंबर को वापस लौटेंगी। दक्षेस शिखर सम्मेलन के लिए पाकिस्तान द्वारा जोर देने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि क्षेत्र में माहौल अनुकूल नहीं है।
कुमार ने कहा, "इस क्षेत्र के कई अन्य देश भी हैं जिन्होंने महसूस किया कि आतंकवाद की छाया में इसका (दक्षेस सम्मेलन) आयोजन मुश्किल होगा।"कुमार ने कहा कि दौरान करतारपुर साहिब का मुद्दा भी उठाएंगी।
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