रंजना रानी
दिलेर समाचार, ये छोटे दाने हैं जो उठती जवानी में युवक-युवतियों के कपोलों पर उठ आते हैं और बहु-बड़ी परेशानी का कारण बन जाते हैं। कई बार वर्षों यह सिलसिला चलता रहता है।
जहां से ये जाते हैं वहीं पर अपने पड़ाव की काली निशानी छोड़ जाते हैं प्रायः पकने पर इनमें जरा सी मवाद पड़ जाती है और खील सी निकलती है। खील निकलने पर फुंसी की जगह कुछ गड्ढा सा पड़ जाता है, साथ में जरा सी सूजन हो जाती है।
तरह-तरह की दवाइयां कोई काम नहीं करती। हां, इनकी बदौल-मुंह पर पड़ी काली झांई पर लोगों की नजर कुछ दिनों तक नहीं पड़ती। किसी हद तक ये बचाते जरूर हैं और कुछ दिनों तक हमें तनाव मुक्-कर देते हैं पर इनके हमेशा इस्तेमाल का फल यह होता है कि ये त्वचा को रूखा और बेजान बना देते हैं। रोमकूपों को फैलाकर उन्हें चौड़ा बना देते हैं। फिर इनको इस्तेमाल किये बिना हम किसी के सामने नहीं जा सकते।
सोचने की बा-यह है कि ये क्यों होते हैं जब हम अच्छे से स्नान करते हैं और पूरे शरीर को साफ रखते हैं परंतु यह हमारा भ्रम है कि हमारा शरीर साफ है क्योंकि गंदगी तो हमारे अंदर जगह बनाएं बैठी है। इतना तो आप समझ ही गए होंगे कि मुंहासे गंदगी का द्वार हैं। मवाद निकलने से गंदगी निकलती है मगर गंदगी निकालने के लिए तो कुदर-ने हमें मलद्वार, मूत्रामार्ग, रोमकूप, नाक दिये हैं, फिर नया रास्ता क्यों?
साधारण सी बा-है कि अगर हमें दरवाजे से बाहर नहीं निकलने दिया जायेगा तो हम पीछे की खिड़की से भागते हैं। राजमार्ग पर जलू-निकलता हो तो गली से जाते हैं। जिनको मुंहासे होते हैं उनके अंदर इतनी गंदगी होती है कि वे कुदर-के दिये हुए रास्तों से पूरी तरह न निकलने के कारण गाल की खाल फाड़कर निकलते हैं। हर शख्-की यह कोशिश होती है कि मेहन-कम से कम करनी पडे़, अतः शरीर की गंदगी भी शरीर की कोमल त्वचा कपोल पर ही हमला करती है।
मुंहासों की चिकित्सा बताने की जरूर-तो अब आपको महसू-नहीं होनी चाहिए। बा-साफ है घर के बडे़ नाले को खोल दो। छोटी नालियां अपने आप बंद हो जायेंगी।
-पेट को अच्छी तरह साफ रखें।
-पसीना ठीक से निकले, पेशाब भी साफ हो और फेफडे़ अपना काम ठीक से करें।
-पेट अच्छे से साफ हो, इसके लिए फल और हरी सब्जियां खाएं, चोकरयुक्-रोटी खाएं, अच्छी तरह चबा-चबा कर खाएं और कसर-करें।
-वह काम करें जिससे पसीना निकले।
-यदि आपका काम बाबूगिरी है, बैठे-बैठे हुक्म चलाना है, या केवल कलम दौड़ाना है, तो सबेरे उठकर मैदान में थोड़ा दौड़ लिया करें। शरीर पर मेहन-डालने वाली कुछ कसरतें करें। पेशाब साफ लाने के लिए पानी अधिक पियें, दूध, चाय, काफी, लस्सी, पानी का काम नहीं करते।
-डेढ़-दो लिटर पानी प्रतिदिन जरूर पियें।
-फेफड़ों से ठीक काम लेने के लिए लंबी सां-लेनी चाहिए।
-कसर-खुली और साफ वातावरण में करनी चाहिए।
-मिर्च, मसाले, चीनी, चाय, काफी, इन्हें गंदगी ही समझें। जिन चीजों में घी, चीनी, मसाले डाले जाते हैं, वे भी भारी बनकर यही काम करती हैं।
-मुंह की त्वचा को सुंदर व दोषरहि-बनाने के लिए उ-पर भाप लगानी चाहिए। गै-स्टोव या सिगड़ी पर रखे बर्तन से उठती भाप को चेहरे पर लगाने के लिए भाप के बर्तन तथा चेहरे को किसी तौलिये से ढंक लेना चाहिए। भाप लगाने से रोमकूप खुल जाते हैं। उन्हें बंद करने के लिए भाप लेने के बाद चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारने चाहिए या एक बर्फ का टुकड़ा मोटे कपडे़ में रखकर चेहरे पर फेरना चाहिए।
कपोलों पर इकट्ठी गंदगी पसीने की राह निकल जायेगी और मुंहासे गायब होने लगेंगे। यह दस-पांच दिन कीजिए। तब तक पूरे कार्यक्रम का असर आपके शरीर पर होने लगेगा और मुंहासों की जड़ कटने लगेगी।
यह क्रम मुंह पर पडे़ किसी प्रकार के दाग, झांई, आंखों के नीचे या चारों ओर पड़ी काली लकीरें, चेचक के हल्के दागों को भी दूर करने के लिए समान रूप से उपयोगी हैं।
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