दिलेर समाचार, नई दिल्ली: शतक और विराट कोहली मानो एक-दूसरे के पूरक बनते जा रहे हैं. ईडन गार्डन में शुरू हुई शतक बनाने की दास्तान भारतीय कप्तान के घरेलू मैदान पर भी जारी रही. श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में लगातार तीसरा शतक ठोकने के साथ ही विराट ने वह कारनामा कर दिया, जो टेस्ट क्रिकेट इतिहास में उनसे पहले कोई भी नहीं कर सका. लेकिन यह भी सच है कि अगर विराट ने यह 'सुपर डबल धमाका' किया, तो उसके पीछे रही धोनी की चोट. मतलब अगर धोनी चोटिल नहीं हुए होते, तो आज कोहली भी यह 'सुपर डबल धमाका' नहीं ही कर पाते.
बता दें कि कोहली के सुपर डबल धमाके की शुरुआत साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे से शुरू हुई. चार टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट मैच एडिलेड में खेला जाना था. धोनी उंगली में चोट के कारण एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट से
हट गए. ऐसे में विराट ने कप्तानी संभाली, तो उन्होंने मैच की दोनों पारियों में 115 और फिर 141 रन ठोकते हुए दो शतक जड़ डाले. इसके बाद अगले दोनों मैचों में फिर धोनी कप्तान बन गए. लेकिन सीरीज के चौथे और आखिरी टेस्ट से पहले धोनी ने संन्यास लेकर सभी को हैरान कर दिया. मेलबर्न में चौथे व आखिरी टेस्ट में विराट ने फिर से टीम की कमान संभाली और वह 169 रन की पारी खेलने के साथ ही उन्होंने बतौर कप्तान लगातार तीसरी पारी में शतक जड़ डाला.
इस सुपर धमाके के करीब तीन साल बाद वक्त की सुई एक बार फिर से वहीं आकर ठहर गई. इस बार शुरुआत श्रीलंका के खिलाफ ईडन गार्डन से हुई और फिरोजशाह कोटला में जारी सीरीज के तीसरे टेस्ट में कोहली ने शतक जड़कर तीन साल पहले किए गए सुपर धमाके को डबल सुपर धमाके में तब्दील कर दिया. यह वह कारनामा है, जो टेस्ट क्रिकेट इतिहास में विराट के अलावा पहले कोई दूसरा कप्तान नहीं ही कर सका है. कोटला से पहले विराट ने ईडन गार्डन में 104* और कोलकाता में 213 रन बनाए थे और अब कोटला की शतकीय पारी के साथ विराट कोहली बतौर कप्तान दो बार लगातार तीन पारियों में शतक जड़ने वाले दुनिया के इकलौते कप्तान बन गए.
वास्तव में विराट का बल्ला जिस तरह आग उगल रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर वह इस कारनामे को तीसरी बार भी अंजाम दे देते हैं, तो चौंकाने वाली बात बिल्कुल भी नहीं होगी.
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