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मीनोपॉज समय से पहले आए तो महिलाएं उसके लिए क्या करें और उससे कैसे निपटें, यहां है इसके बारे में सब कुछ

Posted at: Mar 7 , 2019 by Dilersamachar 10472

दिलेर समाचार, डॉ. रीता बक्शी। गयनेकोलॉजिस्ट ऑब्स्टट्रिशन चेयरपर्सन, इंटरनैशनल फर्टिलिटी सेंटर शब्द “मीनोपॉज’’ की उत्पति ग्रीक मूल से हुई है और यह दो शब्दों: ’’मीनो’’ का मतलब होता है महीना और ’’पॉज’’ का मतलब होता है समाप्त होना। जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह मध्यावय महिलाओं (40 से 60 वर्ष की आयु वर्ग) में प्रजनन क्षमता की समाप्ति का संकेत होता है (उनकी ओवरीज काम करना बंद कर देती हैं) ।

ज्यादातर मामलों में महिलाएं समझती हैं कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और मासिक धर्म संबंधी लक्षणों में बदलाव को देखते हुए वे इसका अंदाजा भी लगा लेती हैं कि उनका मीनोपॉज आ रहा है या नहीं।

इंस्टीट्यूट फॉर सोशल ऐंड इकनोमिक चेंज द्वारा 2016 में कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार करीब 4 फीसदी भारतीय महिलाओं में मीनोपॉज के संकेत अब काफी जल्दी—29 से 34 वर्ष में ही दिखने लगे हैं जबकि 35-39 वर्ष की आयु वर्ग वाली महिलाओं के लिए यह आंकड़ा और भी ज्यादा 8 फीसदी है। महिलाओं में मीनोपॉज की उम्र का वैश्विक औसत 51 है लेकिन व्यस्त और अनियमित जीवनशैली के साथ ही खानपान की बदलती आदतों, धूम्रपान की आदत, आदि तनाव का स्तर बढ़ाते हैं और इस वजह से भारत में महिलाओं में 29 वर्ष की उम्र में भी मीनोपॉज हो रहा है!

मेडिकल भाषा में कहा जाए तो प्रीमैच्योर ओवरी फेल्यर (पीओएफ) तब होता है जब 40 वर्ष या इससे कम उम्र में महिलाओं के अंडाशय सामान्य रूप से काम करना बंद कर देते हैं। अंडाशयों में भंडार कम होना आमतौर पर पी.ओ.एफ. की शुरूआत होती है और यह अक्सर इसी उम्र में होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि मीनोपॉज की आधिकारिक शुरूआत आमतौर पर महिला के आखिरी पीरियड के 12 महीने के बाद होती है। लेकिन आपकी उम्र अगर 30 से 45 वर्ष के बीच है और तीन महीने या इससे अधिक समय से आपके पीरियड नहीं हुए तो आशंका है कि आपका मीनोपॉज समय से पहले आ सकता है।

हालांकि, यह दुर्लभ स्थिति होती है और दुनिया भर में 30 वर्ष से कम उम्र की 1000 महिलाओं में से एक में ही प्रीमैच्योर मीनोपॉज होता है और हाल में मिले प्रमाणों के अनुसार भारतीय शहरों में इसके मामले बढ़ रहे हैं। यह किसी भी महिला के लिए उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण और मुश्किल मुद्दा हो सकता है! समय के साथ प्रीमैच्योर मीनोपॉज के कारण आपको स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे लो बोन डेंसिटी (जिससे ओस्टियोपोरोसिस हो सकती है) और कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य विकार, इत्यादि।

कम उम्र में मीनोपॉज दो वजहों से होता है — या तो फॉलिकल घट रहा हो या फॉलिकल सामान्य ढंग से काम नहीं कर रहे हों। इन दोनों ही परिस्थितियों में महिलाओं के अंडाणु परिपक्व नहीं होते या रिलीज नहीं हो पाते और वह भी सामान्य से पहले।

हालांकि, कई ऐसे बाहरी कारक भी हैं, जिनकी वजह से महिलाओं में समय से पहले मीनोपॉज हो सकता हैं — रोजमर्रा का तनाव, धूम्रपान, शराब का सेवन, प्रीमैच्योर मीनोपॉज की पारिवारिक पृष्ठभूमि, ऑटो-इम्युन बीमारी (ह्यपरथैरॉइडिस्म, डायबिटीज, क्रोन डिज़ीज़, रियूमैटोइड आर्थराइटिस इत्यादि हुई हो), कीमोथेरेपी दवाओं का सेवन व अन्य शामिल हैं।

समय से पहले मीनोपॉज होने के कुछ सामान्य लक्षणों में कई बार हॉट फ्लैशेज़ होना, रात में पसीना आना, कामेच्छा समाप्त होना, जोड़ों में दर्द होना, योनि में रूखापन आना, मूत्राशय में जलन, मूड में बदलाव आना इत्यादि शामिल हैं जो सामान्य मीनोपॉज की ही तरह होते हैं। नींद में व्यावधान आना, कामवासना में कमी आना और इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना भी काफी तनावपूर्ण हो सकता है और कुछ मामले में प्रीमैच्योर मीनोपॉज से महिलाओं के भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

प्रीमैच्योर मीनोपॉज के कारण महिला में अवसाद, बेचैनी, हड्डियों में कमजोरी आना (कम एस्ट्रोजन स्तर के कारण) और सबसे भयानक-प्रजनन क्षमता खोना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। प्रजनन क्षमता खोने का डर या नारीत्व का सार खोने से कुछ महिलाओं में आत्मसम्मान की भावना भी कम हो सकती है, विशेष तौर पर जब यह बदलाव अप्रत्याशित हो।

अगर आपकी उम्र 30 वर्ष के आसपास पहुंच रही है और आपको लग रहा है कि पीरियड्स अनियमित हो रहे हैं या अचानक बंद हो गए हैं तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। संभव है कि आपके शरीर में हो रहे हॉर्मोनल बदलाव आपके मूड और मासिक धर्म को भी प्रभावित कर रहे हों तो आपको डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।

प्रीमैच्योर मीनोपॉज की रोकथाम के लिए कोई निर्धारित कदम नहीं है और 25 वर्ष या इससे कम उम्र की महिलाएं अपने जीवनशैली में कुछ सामान्य बदलाव लाकर मीनोपॉज को टाल सकती हैं— जैसे जोखिम कारकों को समझना (विशेष तौर पर ऑटोइम्युन बीमारियों को समझना) और पारिवारिक डॉक्टरों के साथ बातचीत कर इन बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान और शराब छोड़ दें (या धीरे-धीरे घटाएं), पर्यावरण में मौजूद हानिकारक तत्वों से संपर्क घटाएं (कॉस्मेटिक्स इत्यादि) और भी अन्य।

प्रीमैच्योर मीनोपॉज की पुष्टि करने के लिए आपका डॉक्टर फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन, एस्ट्राडियोल इत्यादि हॉर्मोन का पता लगाने के लिए आपके ब्लड की जांच कर सकते हैं या फिर डी.एन.ए. टेस्ट व प्रेग्नैंसी टेस्ट भी कर सकते हैं।

मीनोपॉज के समय से पहले आने की खबर सुनकर कुछ महिलाएं बेहद भावुक महसूस कर सकती हैं लेकिन आपको यहां कुछ इलाज या समस्या से निपटने के लिए कुछ उपाय सुझाए गए हैं, जो आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं:

  • हॉर्मोन थेरेपी या सप्लीमेंटल एस्ट्रोजन या प्रोजेस्टीन लेने से आपके शरीर में कुछ प्रजनन हॉर्मोन को रिप्लेस करने में मदद मिल सकती है जो मीनोपॉज आने के कारण आपके शरीर में नहीं बन रहे होते और यह कुछ हद तक हड्डियों को होने वाले नुकसान को भी कम करने में मदद मिल सकती है। इनका सेवन गोलियों, स्प्रे, जेल या क्रीम या लोकलाइज्ड हॉर्मोन ट्रीटमेंट (इंट्रा-वैजाइनल उपयोग) के रूप में किया जा सकता है। हालांकि, इस थेरेपी के स्वास्थ्य पर कुछ जोखिम भी हो सकता है और यह बहुत जरूरी है कि आप डॉक्टर के निर्देशानुसार ही इसकी प्रभावी डोज कम से कम अवधि के लिए लें।
  • ओरल कंट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल हॉर्मोनल थेरेपी में किया जाता है कई बार इनका अप्रत्यक्ष इस्तेमाल प्री-मीनोपॉज लक्षणों से राहत देने के लिए भी किया जाता है।
  • एंटीडिप्रेसेंट दवाएं जैसे सेरोटोनिन रिअपटेक इनहिबटिर्स और इसी तरह की दवाएं भी 50 फीसदी महिलाओं में हॉट फ्लैश, मूड स्विंग्स या बेचैनी को रोकने में प्रभावी साबित हो सकते हैं।
  • गैर-हॉर्मोनल वैजाइनल जेल, ल्युब्रिकैंट्स का इस्तेमाल कर भी योनि में ड्राइनेस को कम किया जा सकता है।
  • टॉक थेरेपी यानी प्रीमैच्योर मीनोपॉज के दौरान या उसके बाद मानसिक तनाव के बारे में काउंसलर से बात करना या सपोर्ट ग्रुप से जुड़ना या इसी तरह के अनुभव से गुजर चुके अन्य लोगों से बातचीत करना भी एक अच्छा फैसला हो सकता है।

आखिर लेकिन आखिरी नहीं, इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि समय से पहले मीनोपॉज होने के कारण जो महिलाएं अपनी प्रजनन क्षमता खो देती हैं उन्हें निराश होने या उम्मीद छोड़ने की जरूरत नहीं है। यूं तो कोई भी उपलब्ध इलाज आपको आपकी प्रजनन क्षमता नहीं लौटा सकता लेकिन आप गर्भवती होने की इच्छा रखती हैं तो आपके लिए यह विकल्प बंद नहीं हुआ है और इसका जवाब है एक ऐसा वैकल्पिक तरीका ढूंढना चाहिए जो आपके लिए अनुकूल हो। गर्भधारण करने में सहायक तरीके जैसे आईवीएफ के जरिए महिलाएं डोनर अंडों की मदद से गर्भवती हो सकती हैं और यह प्रीमैच्योर मीनोपॉज की समस्या से जूझ रही महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण साबित हो सकती है

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