दिलेर समाचार, मुंबई। समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे पाकिस्तान के 10 आतंकियों ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में मौत का तांडव मचाया था। आतंकियों की गोलीबारी में ताज महल होटल, नरीमन हाउस, ओबेराय होटल और सीएसटी टर्मिनस पर कम से कम 166 लोगों की मौत हुई थी।
उस आतंकी घटना में कई लोगों ने हैवानियत को अपनी आंखों के सामने होते देखा था। उन्हीं में से एक थीं 50 वर्षीय जमुना वाघेला। उनके बेटे ठाकुर वाघेला (32) से अजमल आमिर कसाब ने एक गिलास पानी मांगा और पानी पीने के बाद उसे गोली मार दी। ठाकुर दक्षिण मुंबई के सरकारी जीटी अस्पताल में सफाईकर्मी था।
जमुना ने बताया कि उस रात 10 बजे मैं अपनी झोपड़ी के बाहर खड़ी थी। ठाकुर और पोता खाना खा रहे थे। तभी दो लोग कसाब और इस्माइल हमारे घर के पास रुके। मैंने कसाब से पूछा कि उसे क्या चाहिए, उसकी बाद में जिंदा पकड़े जाने के बाद पहचान हुई थी।
जमुना ने बताया उसके साथी ने मुझ पर गोली चला दी। मगर, किस्मत से मैं बच गई। मैं झोपड़ी के पीछे छिप गई। कसाब मेरे बेटे के पास आया और उससे पानी मांगा। जमुना ने बताया मैं देख रही थी कि ठाकुर ने कांपते हाथों से उसे पानी दिया। कसाब ने पानी पिया और फिर उसे गोली मार दी।
जमुना ने कहा कसाब ने मेरे पोते को नहीं देखा, नहीं तो वह उसे भी मार देता। अब मुझे देर शाम अपने घर के बाहर बैठने में भी डर लगता है। ठाकुर के परिवार में उनकी मां के अलावा पत्नी और तीन बच्चे हैं। जमुना ने कहा मेरे बेटे को मार कर कसाब को क्या मिला? आतंकी यह सब क्यों करते हैं? उसने मेरे बेटे को एक गिलास पानी के बदले में मार डाला।
इसके बाद कसाब ने कामा अस्पताल में आतंक फैलाया। वहां, सुरक्षा बलों के साथ उसकी मुठभेड़ हुई थी। इसके बाद हॉस्पिटल के बाहर तत्कालीन एटीएस चीफ हेमंत करकरे, डीआईजी अशोक काम्टे और एन्काउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालास्कर को गोली मार दी थी।
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