दिलेर समाचार, अधिकतर लोगों को नींद प्यारी लगती है. ख़ासकर रविवार के दिन, जब दफ़्तर जाने का दबाव न हो और अलार्म घड़ी की कर्कश आवाज़ आपकी नींद में खलल न डाले.
लेकिन मेरे लिए नींद ही मेरी दुश्मन है.
मैं वो सबकुछ करती हूं, जो एक आम इंसान करता है. मैं एक पर्सनल ट्रेनर हूं. अपने व्यॉयफ्रेंड और दो सााथियों के साथ नीदरलैंड की राजधानी एम्सटरडम में रहती हूं.
मैं बाहर घूमने जाती हूं, शॉपिंग करती हूं, वो सबकुछ करती हूं जो मेरा मन करता है, पर मैं खुद को जहां-तहां और बेसमय सोने से रोक नहीं पाती हूं.
मुझे नार्कोलेप्सी है. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपका शरीर तय समय के हिसाब से नहीं चलता है, यानी जब-तब आपको नींद आती है. आम लोग रात में छह से आठ घंटे सोते हैं, पर मेरे साथ ऐसा नहीं है.
मैं दिन में आठ से नौ बार सोती हूं, कहीं भी, कभी भी. कभी-कभी यह नींद बहुत छोटी, 10 सेंकड से भी कम की होती है. इतना ही नहीं, मुझे कैटाप्लैक्सी है, जिसमें मैं जब ज़्यादा खुश होती हूं या फिर दुखी होती हूं तो मेरा शरीर कमजोर पड़ने लगता है.
मेरे घुटनों में दर्द होने लगता है, मेरा सिर भारी लगने लगता है और ऐसा लगता है कि जैसे सूरज मेरी आंखों में चमक रहा हो. मैं चाह कर भी जाग नहीं सकती और मुझे सोना पड़ता है.
रात को मैं चाह कर भी नहीं सो पाती हूं.
नार्कोलेप्सी में सिर्फ नींद ही नहीं आती है, जब मुझे नींद के दौरे पड़ते हैं, मैं अजीब व्यवहार करने लगती हूं. जैसे अगर मैं खाने की टेबल पर बैठी हूं तो खाने को प्लेट से फेंकने लगती हूं.
मैं 15 साल की थी, जब मुझे पहली बार नींद के दौरे पड़े थे. मैं उन बदकिस्मत लोगों में से थी, जिन्हें स्वाइन फ्लू से बचने के लिए इंजेक्शन लगाए गए थे, जिसके बाद मुझे नार्कोलेप्सी की बीमारी हुई.
इंग्लैंड के पब्लिक हेल्थ विभाग के मुताबिक इस इंजेक्शन को लगाने वाले 55 हज़ार लोगों में किसी एक को यह बीमारी हुई थी.
मेरे स्कूल में कुछ बच्चों को स्वाइन फ्लू हुआ था. इसके बाद सभी को ख़तरे से बचाने के लिए यह इंजेक्शन दिया गया था. शुरुआत में इसका असर पता नहीं चला, पर छह महीने बाद मुझे नींद के दौरे पड़ने लगे.
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस से मुताबिक यह एक दिमागी बिमारी है, जो लंबे वक़्त तक चलती है. इसमें व्यक्ति को कभी भी नींद आने लगती है.
बीमार व्यक्ति का दिमाग सोने और जागने की सामान्य प्रक्रिया के हिसाब से काम नहीं करता.
नार्कोलेप्सी क्यों होती है
क्या है इसका इलाज
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