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अजय माकन ने किया केजरीवाल को 'चैलेंज', कहा- छात्रों की संख्या घटाकर रिजल्ट सुधारा

Posted at: May 29 , 2018 by Dilersamachar 9949

दिलेर समाचार- सीबीएसई की बारहवीं की परीक्षा के नतीजों में पास प्रतिशत के मामले में दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने प्राइवेट स्कूलों को फिर पीछे छोड़ दिया है. इसे केजरीवाल सरकार अपनी उपलब्धि बता रही है. लेकिन दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने केजरीवाल सरकार की इस 'उपलब्धि' पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घटा कर रिजल्ट में पास प्रतिशत सुधारा है. माकन ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनौती दी है कि वे उन्हें गलत साबित करें या फिर राजनीति छोड़ दें. माकन ने ये भी कहा कि उनका दावा गलत साबित हुआ तो वो राजनीति छोड़ देंगे.


 

आंकड़ों के मुताबिक इस साल दिल्ली के प्राइवेट स्कूल के 88.35% बच्चे पास हुए जबकि सरकारी स्कूलों के बच्चों का पास प्रतिशत 90.64 रहा. केजरीवाल सरकार ने दावा किया कि ऐसा उनकी सरकार की तरफ से शिक्षा के क्षेत्र में लाए गए सुधार की वजह से हुआ है. लगातार तीसरे साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने प्राइवेट स्कूलों को पछाड़ा है.

अजय माकन का चैलेंज


 

लेकिन अजय माकन ने कहा कि सरकारी स्कूलों के जितने बच्चे सत्र 2013-14 में पास हुए उनकी तुलना में सत्र 2017-18 में पास हुए बच्चों की संख्या घटी है. माकन ने केजरीवाल को चुनौती दी कि वे साबित करें कि कांग्रेस सरकार के वक्त से ज्यादा बच्चे उनकी सरकार में पास हुए तो वो राजनीति छोड़ देंगे वरना केजरीवाल राजनीति छोड़ें. अजय माकन ने आरोप लगाया कि केजरीवाल झूठे दावे करते हैं.


 

बाद में माकन ने ट्वीट किया कि "कांग्रेस के समय सरकारी स्कूलों से 2013-14 में 1.47 लाख बच्चे पास हुए! मेरी चुनौती है-पिछले 3वर्षों की तरह, इस वर्ष भी इस रिकॉर्ड को आप तोड़ नहीं पाए हैं! झूठ न बोलें-देखें कैसे प्राइवेट स्कूलों से उत्तीर्ण छात्र बढ़े हैं और सरकारी स्कूल में कम!"

एक दूसरे ट्वीट में माकन ने लिखा "हेरफेर देखें..2013-14 में कांग्रेस के समय,सरकारी स्कूलों से 1.66 लाख बच्चे 12वी की परीक्षा में बैठे..12वी की % बढ़ाने के फेर में 10वीं 11वीं में ही बच्चों को फेल कर दिया-और 2016-17 में 33 हजार बच्चे सरकारी स्कूल में कम बैठे प्राइवेट स्कूलों के छात्र बढ़े-और सरकारी में कम."

केजरीवाल सरकार में छात्रों की संख्या घटी


 

माकन का कहना है कि केजरीवाल सरकार में सरकारी स्कूलों का पास प्रतिशत इसलिए बढ़ा है क्योंकि छात्रों की संख्या घट गई है. माकन ने सत्र 2008-09 से परीक्षा में शामिल हुए सरकारी स्कूल के छात्रों और उनमें से पास हुए छात्रों का आंकड़ा सामने रखा. आंकड़ों से पता चलता है कि जब तक दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी तब तक परीक्षा में शामिल होने वाले सरकारी स्कूल के छात्रों की संख्या हर साल बढ़ रही थी. लेकिन उसके बाद इसमें हर साल गिरावट आई है. जबकि इसी दौरान निजी स्कूलों से परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है.


 

2011-12: एपियर 1.21 लाख/पास 1.06 लाख
2012-13: एपियर 1.39 लाख/ पास 1.23 लाख
2013-14 : एपियर 1.66 लाख/ पास 1.47 लाख
2014-15: एपियर 1.40 लाख/ पास 1.24 लाख
2015-16: एपियर 1.31 लाख/ पास 1.17 लाख
2016-17: एपियर 1.23 लाख/ पास 1.09 लाख


 

सरकार के दावे सवाल तो उठते हैं


 

ये आंकड़े सवाल तो उठाते ही हैं कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार के राज में उनके दावे के मुताबिक सरकारी स्कूलों की स्थिती सुधरी है तो फिर परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या हर साल घट क्यों रही है? दिल्ली में नवंबर 2013 तक शीला दीक्षित की सरकार थी. उसके बाद हुए चुनाव के बाद 49 दिनों तक केजरीवाल सरकार रही और फिर लगभग साल भर तक राष्ट्रपति शासन रहा. इसके बाद फरवरी 2015 में एक बार फिर केजरीवाल सत्ता में आए. केजरीवाल सरकार में शिक्षा मंत्रालय उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास है. केजरीवाल सरकार ने शिक्षा के बजट में काफी इजाफा किया है और उनकी सरकार हमेशा ये दावे करती है कि उसने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में जबरदस्त सुधार किया है.

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