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इच्छा पूरी के अलावा इसलिए भी किए जाते हैं मन्दिर में परिक्रमा

Posted at: Sep 28 , 2020 by Dilersamachar 16331

दिलेर समाचार, पूजा करते समय देवी-देवताओं की परिक्रमा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है भगवान की परिक्रमा से अक्षय पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं। इस परंपरा के पीछे धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। जिन मंदिरों में पूरे विधि-विधान के साथ देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित की जाती है, वहां मूर्ति के आसपास दिव्य शक्ति हमेशा सक्रिय रहती है। मूर्ति की परिक्रमा करने से उस शक्ति से हमें भी ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा से मन शांत होता है। जिस दिशा में घड़ी की सुई घुमती है, उसी दिशा में परिक्रमा करनी चाहिए।

यूं तो हम मानते ही हैं कि प्रत्येक धार्मिक स्थल का वातावरण काफी सुखद होता है, लेकिन इसे हम मात्र श्रद्धा का नाम देते हैं। किंतु वैज्ञानिकों ने इस बात को काफी विस्तार से समझा एवं समझाया भी है। उनके अनुसार एक धार्मिक स्थल अपने भीतर कुछ ऊर्जा से लैस होता है, यह ऊर्जा मंत्रों एवं धार्मिक उपदेशों के उच्चारण से पैदा होती है। यही कारण है कि किसी भी धार्मिक स्थल पर जाकर मानसिक शांति मिलती है।

वहीं, धार्मिक मान्यता के अनुसार जब गणेश और कार्तिक के बीच संसार का चक्कर लगाने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी तब गणेश जी ने अपनी चतुराई से पिता शिव और माता पार्वती के तीन चक्कर लगाए थे। इसी वजह से लोग भी पूजा के बाद संसार के निर्माता के चक्कर लगाते हैं। उनके अनुसार ऐसा करने से धन-समृद्धि होती हैं और जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।

परिक्रमा करते समय ध्यान रखनी चाहिए ये बातें :-

जिस देवी-देवता की परिक्रमा की जा रही है, उनके मंत्रों का जप करना चाहिए। भगवान की परिक्रमा करते समय मन में बुराई, क्रोध, तनाव जैसे भाव नहीं होना चाहिए। परिक्रमा नंगे पैर ही करना चाहिए। परिक्रमा करते समय बातें नहीं करना चाहिए। शांत मन से परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय तुलसी, रुद्राक्ष आदि की माला पहनेंगे तो बहुत शुभ रहता है।

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