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Ayodhya Verdict: इन अहम बिंदुओं के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया विवादित भूमि का फैसला

Posted at: Nov 10 , 2019 by Dilersamachar 9776

दिलेर समाचार, नई दिल्ली: Ayodhya Case: अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पांच जजों की पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया. कोर्ट ने विवादित ढांचे की जमीन हिंदु पक्ष को देने का फैसला सुनाया है. साथ ही  सरकार से कहा है कि वह मुसलमानों को अयोध्या में ही दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन दे. सुप्रीम कोर्ट के यह फैसला बीते कई दशकों से दो सुमदाय के बीच मौजूद गतिरोध को कम करने के लिए बड़े कदम की तरह साबित हो सकता है. साथ ही पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि यह न्यायालय एक ऐसे विवाद के समाधान के लिए काम कर रहा है जिसकी उत्पत्ति भारत के विचार के समान पुरानी है. विवादित स्थल पर फैसले सुनाते हुए पीठ ने उन बिंदुओं की ओर भी इशारा किया है जिनके आधार पर उसने यह फैसला दिया है. आइए एक नजर डालते हुए उन बिंदुओं पर जो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का आधार बने-

1. विवादित जमीन मंदिर के लिए क्यों सौंपी जा रही है?

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सूबतों के आधार. हिंदुओं की तुलना में मुस्लिम पक्ष विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट को बेहतर तरीके से साबित नहीं कर पाया है.

2. मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह जमीन क्यों दी जा रही है?

“22/23 दिसंबर 1949 को मुस्लिमों को मस्जिद से बेदखल कर दिया था, जिसे आखिर में 6 दिसंबर 1992 को ढहा दिया गया. इसके बावजूद मुसलमानों ने मस्जिद को छोड़ा नहीं था. न्यायालय मुसलमानों की अनदेखा नहीं करेगा, जिन्हें वंचितों की तरह रखा गया है. यह कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सही नहीं है.

इस बारे में सुप्रीम ने कहा कि विवादित भूमि का विभाजन कानूनी रूप से अस्थिर था. साथ ही इससे सामाजिक शांति को बनाए रखना भी संभव नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरह इसका समाधान संभव नहीं है. भूमि के विभाजन से दोनों पक्षों के हितों का संरक्षण नहीं होगा और शांति की स्थायी भावना भी सुरक्षित नहीं रहेगी.

सार्वजनिक पूजा स्थल को नष्ट करना पूरी तरह से गलत था. मुसलमानों को गलत तरीके से एक मस्जिद से वंचित किया गया, जो 450 साल पहले अच्छी तरह से बनाई गई थी.

ये भी पढ़े: अयोध्या: पुनर्विचार याचिका दायर करने को लेकर अलग-अलग राय दे रहे हैं मुस्लिम नेता और संगठन

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