दिलेर समाचार, इंदौर। स्कूली विद्यार्थियों द्वारा छोटी-छोटी बातों पर आत्महत्या करने की घटनाओं ने प्रदेश सरकार को चिंता में डाल दिया है। ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए अब अगले शैक्षणिक सत्र से शिक्षकों को अभिभावक की भूमिका में लाया जा रहा है।
वहीं ग्याहरवीं कक्षा में काउंसलिंग के बाद ही विद्यार्थी को विषय दिया जाएगा ताकि वह अपनी क्षमता के अनुसार विषय का चयन कर कोर्स पूरा कर सके। स्कूलों को भी सरकार ने 11 बिंदुओं की गाइड लाइन जारी की है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को नकारात्मक माहौल से बाहर लाकर उनका सर्वांगीण विकास करना है।
हाल ही में महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी ने विधानसभा में प्रतिवेदन सौंपा था। इसमें छात्रों में बढ़ती आत्महत्या की मनोवृत्ति को कम करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों की जानकारी दी गई।
लोक शिक्षण आयुक्त ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र में अनिवार्य तौर पर कमेटी की अनुशंसाओं का पालन करने के आदेश जारी किए। इसमें सबसे अहम हायर सेकंडरी में छात्र की काउंसलिंग के बाद ही विषय आवंटित करना है। शिक्षक छात्र की क्षमताओं से पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही विषय देंगे। इससे वह भविष्य में पढ़ाई के दबाव या तनाव के चलते कोई गलत कदम उठाने की कोशिश नहीं करेगा।
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