दिलेर समाचार, नई दिल्ली: एससी-एसटी कानून से नाराज सवर्णों को मनाने के लिए केंद्र सरकार एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. बीजेपी इसके लिए एक फ़ॉर्मूले पर काम कर रही है. एनडीटीवी को सूत्रों से पता चला है कि गृह मंत्रालय राज्यों को सलाह दे सकता है कि इस कानून का उपयोग सोच समझकर और बेहद जरूरी होने पर ही किया जाए. राज्यों से कहा जा सकता है कि इस कानून का इस्तेमाल करने में सावधानी बरती जाए. साथ ही, विरोध करने वालों को आश्वस्त किया जाएगा कि इस कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार गंभीर है. चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में इस कानून के विरोध के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने सवर्णों की नाराजगी के बारे में विचार किया है. दिल्ली में बीजेपी मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था. तब पार्टी ने तय किया था कि सवर्ण नेता अपने समर्थकों को समझाएंगे. शनिवार से दिल्ली में हो रही दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी इस पर चर्चा की संभावना है.
वहीं केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले ने साफ़ कर दिया है कि एससी-एसटी क़ानून में संसद द्वारा किए संशोधन की समीक्षा नहीं की जाएगी. कानून में बदलाव की मांग करनेवालों को एससी-एसटी को लेकर अपने व्यवहार में बदलाव लाना चाहिए, उनसे अच्छे से पेश होना चाहिए.
एससी/एसटी अधिनियम में संशोधन को लेकर कुछ संगठनों द्वारा किए गए भारत बंद की पृष्ठभूमिमें उन्होंने यह बात कही. महाराष्ट्र के नागपुर में आठवले ने कहा कि उनकी पार्टी - रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर सरकार द्वारा जारी परामर्श के खिलाफ है.
आठवले ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में बदलाव की मांग करने वालों को दलितों को लेकर अपने व्यवहार में बदलाव लाना चाहिए और उनसे अच्छे से पेश आना चाहिए.
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