दिलेर समाचार, जिले में काले सोने (अफीम) की सुरक्षा में किसानों के दिन-रात खेतों में बीत रहे हैं। दिन में अफीम की फसल की सुरक्षा नीलगाय और बंदरों से कर रहे हैं, जबकि रात में चोरों से फसल को बचाने का जोखिम भी रहता है। किसान पहरेदारी के लिए लाठी-डंडों के साथ लाइसेंसी बंदूक भी उपयोग कर रहे हैं।
अफीम वर्ष 2017-18 में जिले के तीनों खंडों में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ने 11 हजार 585 किसानों को अफीम की खेती का अधिकार दिया है। ये किसान विभाग से जारी पट्टों के आधार पर 10-10 आरी के खेतों में अफीम की खेती कर रहे हैं। गत वर्ष 10 हजार से अधिक किसानों को अफीम के पट्टे दिए गए थे। वर्तमान में अफीम की फसल शबाब पर है। खेतों में सफेद फूलों के साथ डोडों की भरमार है।
झांतला के अफीम उत्पादक किसान रामेश्वरलाल सरना और फुसरिया के शंकरलाल धाकड़ ने बताया कि मजदूरों की मदद से डोडों की चिराई-लुनाई का काम कर रहे हैं। इस दौरान वे नीलगाय और बंदरों से फसल की सुरक्षा करते हैं।
असल जोखिम रात के समय रहता है, जब अफीम के लालच में चोर डोडों को लूटने या चुराने की कोशिश करते हैं। फसल और डोडों को बचाने के लिए किसान रात में पूरी मुस्तैदी से पहरेदारी करते हैं।
वे लाठी-डंडों के साथ धारदार हथियार भी रखते हैं। कई किसान पहरेदारी के इस काम में लाइसेंसी बंदूक और पिस्टल भी साथ रखते हैं। खेतों से पूर्व में डोडे लूटने और चोरी होने की घटनाओं को देखते हुए जिले के सभी थानों की पुलिस भी अलर्ट है। वह रात्रि गश्त के दौरान अफीम के पट्टेदार किसानों के संपर्क में भी रहती है।
अफीम की फसल की चौकसी का जोखिम क्यों
- अफीम की काले बाजार में कीमत लगभग 1 लाख 60 हजार स्र्पए प्रति किलो है।
- नशे में उपयोग के कारण अफीम की पंजाब, हरियाणा और नई दिल्ली की ओर मांग ज्यादा है।
- तस्कर अफीम के लालच में चोरों से हरे डोडे खरीद लेते हैं। अफीम निकालकर बेच भी देते हैं।
- आपराधिक किस्म के कई लोग महज नशे के कारण हरे डोडे चुराकर ले जाते हैं।
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