दिलेर समाचार, जगदलपुर । बस्तर के भोले-भाले किंतु जागरूक आदिवासियों ने इस बार के विधानसभा चुनाव में जो जिगर दिखाया, उससे मतदान का रिकार्ड ही बन गया। बस्तर संभाग के सात जिलों में स्थित 2831 मतदान केंद्रों में से दो तिहाई मतदान केंद्र नक्सल प्रभावित हैं।
इनमें 1156 मतदान केंद्र अति संवेदनशील और 930 संवेदनशील हैं। इनमें अधिकांश दक्षिण-पश्चिम बस्तर में स्थित हैं। इन केंद्रों में भी इस विधानसभा चुनाव में रिकार्ड मतदान हुआ। संभाग के सबसे अधिक पिछड़े क्षेत्र रहस्यमय अबूझमाड़ के 18 अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों पर 2013 के चुनाव की तुलना में इस बार एक हजार नौ वोट अधिक पड़े।
नक्सली धमकियों, चुनाव बहिष्कार न करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनियों के बीच यहां के लोगों ने लोकतंत्र के इस महापर्व में जिस तरह की सहभागिता निभाई, उसने यह साफ कर दिया कि अब नक्सलियों की धमकियां नहीं चलेंगी। विकास की राह लोकतंत्र से ही तय होगी।
आंकड़े गवाह हैं कि बस्तर संभाग स्थित केशकाल घाटी से लेकर दक्षिण तक फैले कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, दतेंवाड़ा, सुकमा, बीजापुर के नौ विधानसभा क्षेत्रों में औसत 71 फीसद मतदान हुआ। इतना अधिक मतदान इससे पहले कभी नहीं हुआ।
मतदाता कई किलोमीटर पैदल चलकर, नदी-नाले पार कर लोकतंत्र में अपनी सहभागिता निभाने निकले। धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र तुलसी डोंगरी के नजदीक बसे ग्राम एलेंग्गनार के मतदाता वोट डालने के लिए लगभग 12 किलोमीटर पैदल चलकर टाहकवाड़ा बूथ तक पहुंचे थे। आप सगर्व कह सकते हैं ... यह महान दृश्य है। चल रहा मनुष्य है...।।
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