दिलेर समाचार, जम्मू। उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे फरकियां गली में नवंबर, 2012 में बर्फ गिरने के साथ ही घुसपैठ के रास्ते बंद हो रहे थे। 15 वर्ष का एक किशोर हाथों में एक एसाल्ट राइफल लिए और कंधे पर पिटठू बांधे अपने छह अन्य साथियों के साथ कश्मीर में दाखिल हुआ।
बर्फ की मार से बेहाल होकर जब उसकी चाल कुछ धीमी हुई तो एक गाइड ने उसे डांट दिया और अगले पल वह गाइड छोटू की किक खाने के बाद सफेद बर्फ में अपने चेहरे से निकली लहू की धार देख रहा था। इस धार ने साफ कर दिया कि जिसे कश्मीर में भेजा जा रहा है, उसके मासूम चेहरे के पीछे एक जालिम धर्मांध जिहादी छिपा बैठा है, जो हर रोज जुल्म की नई कहानी लिखने वाला लश्कर का अगला पोस्टर ब्वॉय है।
सरहद पार करने के बाद वह कुछ दिनों तक बांडीपोर के जंगलों में ही रहा। उस समय वहां करीब 18 देशी-विदेशी आतंकी थे। अबु कासिम जिसके साथ वह सरहद पार से आया था, उसे अपने से अलग नहीं होने देता था। कासिम को सिर्फ दो लोगों पर यकीन था, दुजाना और छोटू। छोटू का असली नाम नवीद जट्ट था और कोड रखा गया हंजला और अबु।
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