दिलेर समाचार, भरत शर्मा, श्योपुर। श्योपुर का जंगल गिद्धों के लिए एक बड़ा ब्रीडिंग प्वाइंट बनकर सामने आया है। गिद्धों की जो प्रजातियां लुप्तप्राय श्रेणी में शामिल हो चुकी हैं वह श्योपुर जिले के विजयपुर पश्चिम के जंगल में देखने को मिले हैं। वनविभाग की टीमें इस बार की जा रही गिद्धों की गणना के तहत इन गिद्धों का एस्टीमेशन कर चुकी हैं।
एस्टीमेशन में गिद्धों की चार तरह की प्रजातियां सामने आई हैं। जिनमें राज गिद्ध, चमर गिद्ध, सफेद गिद्ध और भारतीय गिद्ध शामिल हैं। दिलचस्प बात ये है कि इस बार जंगल में सिर्फ गिद्ध ही नहीं बल्कि उनके परिवार भी मिले हैं। कुछ जगहों पर गिद्धों के बच्चे व अंडे भी देखने को मिले हैं।
वन विभाग की ओर से सात दिवसीय वन्यप्राणियों की गणना कराई गई थी। जिनमें एक दिन की गणना गिद्धों के लिए तय की गई थी। इस गणना के तहत एस्टीमेशन करने जंगल में उतरी टीमों को चेहरे तब खिल गए जब उनको बड़ी संख्या में गिद्ध और उनके घौंसले जिनमें उनके बच्चे चहचहाते नजर आए।
पश्चिम रेंज के रेंजर केएम त्रिपाठी के निर्देशन में एस्टीमेशन करने वाली टीमों ने गिद्धों की उपस्थिति को लेकर बेहतर रिपोर्ट दी है। जिसमें सफेद गिद्ध, राज गिद्ध सहित उक्त प्रजातियों के बढ़ते परिवारों की स्थिति दर्ज की गई है। श्योपुर के जंगल के गिद्धों की बढ़ती उपस्थिति को लेकर मध्य प्रदेश वनविभाग के अनुसंधान व संरक्षण प्रबंधन ने भी खुशी जाहिर की है।
शहरी क्षेत्रों से दूर जंगल में बनाए आशियाने
गिद्ध अधिकतर जंगल व पहाड़ी क्षेत्रों में ही रहना पसंद करते हैं। लेकिन मृत जानवरों को खाने के लिए वह दूर दूर तक सफर कर शहर व कस्बों के नजदीक आ जाते थे लेकिन इस नजदीकी से गिद्धों ने दूरियां बना ली हैं। यही कारण है कि गिद्धों के झुंड घने जंगल के बीच देखे गए हैं। जहां उन्होंने आशियाने बनाए हैं।
पश्चिम रेंज के में करीब 5 से 7 जगहों पर उनके बसेरा होना सामने आया है। यह वे प्रजातियां हैं जो उत्तरी भारत में सबसे ज्यादा पाई जाती थी। जो विलुप्ती की कगार पर पहुंच गई हैं। जिनको अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षक संघ संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल कर चुका है।
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