दिलेर समाचार, नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि किसी व्यक्ति की निजता सर्वोपरि है और उसे प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने पद्मावत को बैन करने के निर्देश दिए थे. मैं इस बात को समझ नहीं सकता कि एक फिल्म को बैन कैसे किया जा सकता है. अगर कोर्ट ने बैंडिट क्वीन को दिखाने के लिए निर्माता के अधिकार का समर्थन किया था, तो पद्मावत कुछ नहीं थी. न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि निजता एक संवैधानिक अवधारणा है. उन्होंने यहां एम सी सेतलवाड़ स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा, ‘मेरा घर मेरे किले जैसा है , आप वहां मुझे कैसे परेशान कर सकते हैं ? अगर आप वकील हैं तब भी आपको मुझसे मिलने के लिए समय लेना होगा. मेरा समय मेरा समय है, मेरी जिंदगी मेरी जिंदगी है. मेरी निजता मेरे लिए सर्वोपरि है.’
सीजेआई ने कहा कि शोर के डेसिबल की अनुमति के संबंध में हमारे पास कानून है. जब आप उस कानून का उल्लंघन करते हैं, तो आप किसी व्यक्ति के सोने के अधिकार में परेशानी पैदा करते हैं. जो अनिद्रा से पीड़ित वो ही इस त्रासदी को समझ सकता है. यह एक संवैधानिक अवधारणा के रूप में गोपनीयता है जिसे मैं हमेशा यह मानता हूं.
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