दिलेर समाचार, नई दिल्ली: चुनाव आयोग की ओर से लाभ के पद मामले में दिल्ली के अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. अरविंद केजरीवाल ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इतिहास गवा है, अंत में जीत सच्चाई की ही होती है. बता दें कि लाभ के पद पर बने रहते हुए संसदीय सचिव की नियुक्ति के मामले में चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों अयोग्य ठहराते हुए राष्ट्रपति से इसकी सिफारिश कर दी. अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया और लिखा कि ' जब आप सच्चाई और ईमानदारी पर चलते हैं तो बहुत बाधाएं आती हैं. ऐसा होना स्वाभाविक है. पर ब्रह्मांड की सारी दृश्य और अदृश्य शक्तियाँ आपकी मदद करती हैं. ईश्वर आपका साथ देता है. क्योंकि आप अपने लिए नहीं, देश और समाज के लिए काम करते हैं. इतिहास गवाह है कि जीत अंत में सचाई की होती है.'
जब आप सच्चाई और ईमानदारी पर चलते हैं तो बहुत बाधाएँ आती हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है। पर ब्रह्मांड की सारी दृश्य और अदृश्य शक्तियाँ आपकी मदद करती हैं। ईश्वर आपका साथ देता है। क्योंकि आप अपने लिए नहीं,देश और समाज के लिए काम करते हैं। इतिहास गवाह है कि जीत अंत में सचाई की होती है।
इससे पहले चुनाव आयोग की सिफारिश को चुनौती देने के लिए आम आदमी पार्टी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मगर वहां से भी केजरीवाल सरकार को अंतरिम राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी की याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही कोर्ट ने पार्टी को यह फटकार लगाई कि आपने चुनाव आयोग की सुनावई में सहयोग नहीं किया. हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति को भेजे गये सिफारिश की कॉपी दिखाने को भी कहा. अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी. कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि वह उसे अविलंब बताए कि क्या आयोग ने राष्ट्रपति को इस तरह की कोई सिफारिश की है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि वह निर्देश लें और घटनाक्रम के बारे में उसे सूचित करे ताकि सुनवाई शीघ्र बहाल की जा सके.
अगर राष्ट्रपति, चुनाव आयोग की सिफारिशों पर अपनी मंजूरी दे देते हैं, तो 20 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव कराने की अनिवार्यता हो जाएगी. अभी आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा में किसी तरह का खतरा नहीं है. क्योंकि पार्टी के पास 70 में से 66 सीटें हैं. अगर इनके 20 विधायक अयोग्य हो भी जाते हैं तो इनके पास 46 सीटें बचेंगी, जो बहुमत के आंकड़े से ऊपर है. यानी कि अभी भी केजरीवाल सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है.
बता दें कि दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 आप विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. जिसके बाद वकील प्रशांत पटेल ने इस पूरे प्रकरण को लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. राष्ट्रपति ने मामला चुनाव आयोग को भेजा और चुनाव आयोग ने मार्च 2016 में 21 आप विधायकों को नोटिस भेजा, जिसके बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई थी.
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar