दिलेर समाचार, नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के डेल्टा और बीटा (Beta) वेरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन कारगर है. इस बात का दावा हाल ही में हुई एक स्टडी में किया जा रहा है. यह स्टडी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने मिलकर की है. स्टडी में कहा जा रहा है कि कोवैक्सीन दो 'वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न' के खिलाफ सुरक्षा दे रही है.
इस स्टडी में 20 लोगों को शामिल किया गया था. फिलहाल इसे प्रकाशित नहीं किया गया है और अभी इसकी समीक्षा प्रक्रिया भी बाकी है. ICMR के प्रमुख बलराम भार्गव और भारत बायोटेक के सदस्य भी इस स्टडी के लेखक हैं. डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) सबसे पहले भारत में मिला था. इस वेरिएंट को देश में दूसरी बार संक्रमण के मामलों के बढ़ने का कारण माना जा रहा था. जबकि, बीटा वेरिएंट (B.1.351) पहली बार दक्षिण अफ्रीका में मिला था.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि डेल्टा स्ट्रेन काफी ज्यादा संक्रामक है और यह तेजी से फैलता है. सरकार ने कहा था कि इसकी वजह से भारत में कोरोना की दूसरी लहर आई थी. शोध बताते हैं कि यह ब्रिटेन में मिले अल्फा वेरिएंट से 'ज्यादा संक्रामक' है. हालांकि, वैज्ञानिक कहते हैं कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि डेल्टा वेरिएंट की वजह से ज्यादा मौतें हुई हैं और मामलों की गंभीरता बढ़ी है.
इस हफ्ते एक और स्टडी सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि कोवैक्सीन के मुकाबले सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन ज्यादा एंटीबॉडीज बना रही है. यह स्टडी COVAT ने की थी. इसमें स्वास्थ्यकर्मी शामिल थे, जिन्होंने भारत में मौजूद वैक्सीन में से किसी के भी दोनों डोज प्राप्त कर लिए हों. बीते मंगलवार को सरकार ने टीकाकरण कार्यक्रम के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं. साथ ही निजी अस्पतालों के लिए नए दरें भी तय की गई हैं. इनके तहत कोविशील्ड 780 रुपये, कोवैक्सीन 1410 रुपये और स्पूतनिक V 1145 रुपये प्रति डोज के हिसाब से उपलब्ध होंगी. इसके अलावा सरकार ने मुफ्त टीका लगाने की भी घोषणा की है.
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