मोहम्मद हनीफ
दिलेर समाचार, आजकल युवा पीढ़ी में जहां सेक्स की भावना जागृत हो रही है, वहीं कुछ नौसिखिए इससे नुकसान भी उठा रहे हैं जिनमें युवतियों की संख्या ज्यादा है।
सेक्स की भावना से ग्रस्त कुछ युवक युवतियां गलत रास्ते अपनाकर अपना जीवन व्यर्थ कर देते हैं, वहीं कुछ अपना जीवन संवार लेते हैं और शादी करके सुखमय जीवन व्यतीत करते हैं पर कुछ नौसिखिए शादी करना मात्रा सेक्सपूर्ति करना ही मानते हैं जबकि ऐसा नहीं है। शादी करना मात्रा सैक्स इच्छा की पूर्ति करना नहीं होता बल्कि जीवन तो भगवान की एक अनमोल देन है। इसे कुछ नए तरह से जीना चाहिये, तभी सुखी दांपत्य जीवन का आनन्द लिया जा सकता है।
आप अपने दांपत्य को सुखी बनाना चाहती हैं तो ‘सेक्स‘ के विषय में आपको जागरूक बनना होगा। विवाह के प्रारम्भ में अधिकांश दंपति दिन-रात एक ही चक्कर में रहते हैं सेक्सपूर्ति किन्तु धीरे-धीरे वे इसे रोजमर्रा की चीज की तरह एक मशीनी कार्य समझकर निपटा कर सो जाते हैं जबकि ‘सेक्स पूर्ति‘ ही प्रेम नहीं है।
आप जब भी शयनकक्ष में प्रवेश करें, घर की बातें, मानसिक तनाव आदि से रहित होकर ही प्रवेश करें। शयनकक्ष में आपका एकमात्रा लक्ष्य होना चाहिए अपने प्रियतम को प्यार करना। वह प्यार केवल ‘सेक्सपूर्ति‘ से ही नहीं मिलता। इसके लिये पति को प्यार से सहलाना स्पर्श करना भी आवश्यक है।
प्यार का चुम्बन, प्यार वार्ता करना भी ठोस प्रेम है। सेक्स पूर्ति ही प्यार है, यह धारणा गलत है।
पति सेक्सपूर्ति से अधिक पत्नी द्वारा प्यार, दुलार, स्पर्श व चुम्बनों से अधिक प्रसन्न होते हैं किन्तु हमारे देश में लाज-शर्म के कारण पति के समक्ष स्त्राी केवल ‘पूर्ण समर्पण‘ करना ही काफी समझती है। पति अपनी ‘सेक्स पूर्ति‘ करे और फिर सो जाए, यही काफी समझती हैं जबकि ऐसा नहीं है। सेक्स पूर्ति के लिये, यौन सम्बन्धों को अधिक प्रगाढ़ बनाने के लिए उनमें नयापन लाइये। इसके लिए ‘सेक्स ज्ञान‘ सम्बन्धी अच्छी पुस्तकें पढि़ये।
आज से हजारों वर्ष पूर्व भी सेक्स के विषय में हमारे देशवासी काफी जागरूक थे जिसका प्रमाण खजुराहो के मंदिरों व अजन्ता-एलोरा की गुफाओं में बनी मूर्तियों से मिलता है जिनमें यौन क्रियाओं के ‘चौरासी आसनों‘ की मुद्राओं का चित्राण किया गया है अतः अपने जीवन में प्रतिदिन उमंग लाने के लिए, यौन सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाने के लिए अनेक आसनों का प्रयोग किया जा सकता है। सेक्स के विषय में प्रारम्भ
से ही सावधानी रखें। इसकी अति न
हो।
अधिकता से शीघ्र ही उबासी व स्वास्थ्य पर भी असर आ जाता है अतः इसके लिए फिर पूरे सप्ताह का कोई एक दिन निश्चित कर लें। इससे आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और फिर पूरे सप्ताह आपको ‘उस‘ दिन की प्रतीक्षा का खुमार रहेगा और ‘उस‘ दिन आपको और अधिक आनंद आयेगा।
यदि आप इन विषयों का ध्यान रखेंगे तो आपका दांपत्य जीवन लम्बे समय तक सुखमय बना रहेगा, आप अपने पति के दिल की ‘रानी‘ बन सकेंगी और सुखी आनन्दमय जीवन व्यतीत कर सकेंगी।
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