दिलेर समाचार, इस्लामाबाद: मुस्लिमों के आधिकारों की बात करने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) चीन (China) में वीगर मुसलमानों (Uighurs Muslim) पर हो रहे अत्याचार अपर खामोश हैं. कोरोना महामारी को लेकर भी उन्हें बीजिंग से कोई शिकायत नहीं है, उल्टा वह चीन के रुख का समर्थन करते हैं. इसकी वजह चीन के प्रति इमरान का प्यार नहीं बल्कि वहां से मिलने वाली ‘आर्थिक बोटी’ है, जिसकी बदौलत ही इमरान का ‘नया पाकिस्तान’ जिंदा है.
आर्थिक हित सर्वोपरि
अमेरिकी पत्रिका ‘द नेशनल इंटरेस्ट’ में चीन और पाकिस्तान गठजोड़ पर एक लेख प्रकाशित हुआ है. विलियम श्राइवर (William Shriver) ने अपने लेख में यह समझाने की कोशिश की है कि आर्थिक हितों की खातिर पाकिस्तान चीन के समक्ष पूरी तरह नतमस्तक हो गया है. लेख में कहा गया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की आलोचना से बचते हैं, क्योंकि चीन बेल्ट एंड रोड परियोजना (Belt and Road Initiative) के माध्यम से पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है.
कोरोना महज फ्लू
लेख में कहा गया है कि चीन को नाराज न करने की सनक में ही पाकिस्तान ने कोरोना (CoronaVirus) को कमतर आंकने की भूल की. जहां पूरी दुनिया इस महामारी के लिए ड्रैगन को निशाना बनाती रही, इमरान खान खामोश रहे. इसके बजाये उन्होंने ट्वीट करके कहा कि जल्द ही सबकुछ सामान्य हो जाएगा. कोरोना सिर्फ फ्लू की तरह है, जो जल्दी फैलता है. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि इस मुश्किल समय में हम चीन के साथ खड़े हैं.
60 बिलियन डॉलर का निवेश
शिनजियांग क्षेत्र में वीगर मुस्लिमों का उत्पीड़न हो या हांगकांग का विवादस्पद सुरक्षा बिल पाकिस्तान खामोश रहा. इसकी वजह है आर्थिक हित साधना. दरअसल, बीजिंग चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के माध्यम से पाकिस्तान में 60 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है. ऐसे में यदि पाकिस्तान चीन के लिए संवेदनशील मुद्दों पर कुछ बोलता है तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अलग-अलग नीति
विलियम श्राइवर ने जब अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद से सवाल किया कि कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाने वाला पाकिस्तान आखिर चीन में मुस्लिमों के शोषण पर क्यों खामोश है, तो जवाब मिला ‘हम आमतौर पर अन्य देशों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं, विशेष रूप से हमारे दोस्तों के तो बिल्कुल नहीं. जहां तक बात कश्मीर की है, तो इस पर हमारी राय बिल्कुल अलग है’.
क्या चीन साथ देगा?
पाकिस्तान चीन को अपने साथ रखने के लिए सबकुछ दांव पर लगा रहा है. ऐसे में विलियम श्राइवर का सवाल है कि क्या मुश्किल समय में चीन पाक की मदद के लिए वैसे ही तैयार होगा, जैसे अमेरिका आज भारत के साथ खड़ा है? विलियम ने लिखा है कि अगर चीन ने पाकिस्तान को मुश्किल वक्त में अकेला छोड़ दिया, तो उसके लिए स्थिति बेहद विकट हो जायेगी.
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