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होली पर ऐसी हरकत करके न फैलाए मनहूसियत

Posted at: Mar 8 , 2020 by Dilersamachar 11943

दिलेर समाचार, उत्तर भारत में होली का त्यौहार बड़ी उत्सुकता और खुशी से मनाया जाता है। होली का त्यौहार रंगों के त्यौहार के रूप में जाना जाता है जिसका इंतजार सभी बेसब्री से करते हैं। इस त्यौहार को जितने लोग मिलकर मनाएं, उतना ही आनंद महसूस होता है।
कभी कभी पहले मन नहीं करता कि रंगों से स्वयं गीला हुआ जाए। बस देखकर मज़ा लेने की इच्छा होती है पर जब विवश होकर खेलना पड़े तो मन और खेलने को करता है। होली का त्यौहार कुछ संभल कर और समझदारी से खेला जाए तो मज़ा बढ़ जाता है। यदि इसे गंदे रूप में जैसे कीचड़, ग्रीस, गुब्बारे आदि से खेला जाए तो त्यौहार का मजा किरकिरा हो जाता है। आइए देखें कि साल में एक बार आने वाला त्यौहार जिसका इंतजार बच्चों, किशोरों और बड़ों को होता है, उसे और रंगीन कैसे बनाया जाये।
ु रंग व गुलाल बाजार से पहले ही मंगा कर रख लेना चाहिए ताकि कोई आपने घर होली मिलने आए तो आप बिना रंग के शर्मिदा महसूस न करें। गुलाल प्रातः खोलकर प्लेटों में रख देना चाहिए। उन प्लेटों को मुख्य द्वार के पास ही रखें ताकि इधर उधर रंग ढूंढना न पड़़े।
ु बच्चों को गुब्बारों के साथ होली खेलने के लिए निरूत्साहित करें। गुब्बारों से खेलने पर दूसरों को चोट लग सकती है जिससे त्यौहार का मज़ा किरकिरा भी हो सकता है।
ु बच्चों को गुलाल के रंगों के अलग से पैकेट दे दें ताकि वे अपनी मस्ती पूरी ले सकें और बार-बार आपको परेशान न करें।
ु बच्चों को गुब्बारों के स्थान पर पिचकारी से खेलने के लिए प्रेरित करें। उसके लिए एक रात पहले टेसू के फूल बड़ी बाल्टी या टब में भिगो दें। इन फूलों से बना पीला रंग स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
ु होली से एक दिन पूर्व ही कपड़ों का चयन कर निकाल कर रख लें ताकि सुबह उठते ही या रात्रि में पहले से उन कपड़ों को पहन लिया जा सके। वस्त्रा ऐसे हों जो अधिक से अधिक त्वचा को ढक कर रखें। थोड़े मोटे वस्त्रा ही पहनें। पारदर्शी वस्त्रों को न पहनें। बच्चों हेतु दो-तीन जोड़ी वस्त्रा निकालें।
ु जो वस्त्रा होली खेलने के उपरान्त पहनने हों, उन्हें भी पहले निकाल लें ताकि गीले रंगों वाले वस्त्रों और हाथों से अलमारी को न खोलना पड़ें। साफ सुथरे कपड़े भी उन हाथों से खराब हो सकते हैं।
ु अपनी त्वचा को रंगों से बचा कर रखने हेतु सारी त्वचा और बालों पर तेल लगा लें। बच्चों को भी तेल अच्छी तरह से चुपड़ दें।
ु पुराने तौलिए को काट कर हैंड टाॅवल के आकार का बना लें ताकि हाथ मुंह पोंछने में अच्छे तौलिए खराब न हों।
ु होली खुले आंगन में खेलें तो अधिक मज़ा आएगा। बड़े नगरों में आंगन न के बराबर होते हैं। ऐसे में छत पर भी होली खेली जा सकती है पर ध्यान रखें कि छत के चारों ओर ऊंची दीवार होनी चाहिए।
ु घर पर आने वाले अतिथियों हेतु मीठा, नमकीन, गुजिया का प्रबन्ध पहले ही कर लें। चाय हेतु पर्याप्त दूध, चीनी, पत्ती का भी प्रबंध कर लें। आप पेपर प्लेट और फोम के डिस्पोजेबल गिलास रखें ताकि बर्तनों की सफाई के लिए परेशान न उठानी पड़े। बड़े गार्बेज बैग रखें ताकि प्रयोग में हुई प्लेटें और गिलास इधर ऊधर न फैले।
ु दोपहर के खाने का प्रबंध भी पहले ही कर लें। यदि आप खास रिश्तेदार के यहां मिल कर होली मनाने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो पहले से खाने पर विचार कर मिल बांट कर बना कर ले जायें ताकि बोझ भी न बना रहे।
ु होली खूब खेलें पर योजनाबद्ध तरीके से खेलेंगे तो पूरा आनंद ले पायेंगे।

 

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