दिलेर समाचार, । मुझे लगता है कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो ट्रांसजेंडर्स को मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर सकता है। यही वजह है कि मैंने अपने हाथों में विद्या का दंड थाम लिया है और निकल पड़ा हूं अपने ही समान दूसरे लोगों को शिक्षा दिलवाने के लिए। मैं जानता हूं रास्ता कठिन है।
समाज का हमारे प्रति नजरिया अभी बदला नहीं है और ट्रांसजेंडर्स भी बधाई देने में मिलने वाले पैसों से ज्यादा खुश हैं पर मुझे कोशिश करना है। ट्रांसजेंडर्स को मोटिवेट करना उन्हें शिक्षा से जोड़ना मेरा काम है। विद्या के दंड के साथ मुझे जीतना है तीनों लोक को। (यहां तीनों लोक से तात्पर्य है बुराइयां, समाज और स्वयं से) इन अनुभवों को नईदुनिया से साझा किया चंडीगढ़ से शहर आए ट्रांसजेंडर धनंजय चौहान ने।
धनंजय पंजाब विवि के पहले ट्रांसजेंडर स्टूडेंट हैं और इनके ही प्रयास से पंजाब विवि में सबसे पहले ट्रांसजेंडर के लिए अलग से शौचालय बनवाया गया। शिक्षण संस्थाओं के दाखिले फॉर्म में महिला-पुरुष के साथ तीसरा ऑप्शन ट्रांसजेंडर जुड़वाने का श्रेय भी इन्हें ही है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 में ट्रांसजेंडर्स के लिए प्रवेश फॉर्म में ऑप्शन देने का आदेश दिया। आइए जानते हैं कि ट्रांसजेंडर्स धनंजय क्या कहते हैं और क्या चाहते हैं।
परिवार ने नहीं दिया साथ
मेरे परिवार ने मुझे सपोर्ट नहीं किया। यही वजह है कि आज मुझे हिजड़ा बाड़ा में रहना पड़ता है। आज मेरा परिवार मेरे साथ आना चाहता है क्योंकि मैं फेमस हो गया हूं। लोग मुझे जानने लगे हैं। लेकिन जब मुझे जरूरत थी तब परिवार ने नहीं अपनाया।
मुश्किल से हो पाया ग्रेजुएशन
ट्रांसजेंडर होकर पंजाब विवि से ग्रेजुएशन बड़ी मुश्किल से हो पाया। कॉलेज में क्लास रूम में बंद करके मुझे सैक्सुअली हैरास किया गया। कैंटीन जाता तो लोग हंसते, भद्दे कमेंट करते। इतना टॉर्चर हो गया कि ग्रेजुएशन के बाद कॉलेज छोड़ना पड़ा। एलएलबी के लिए फिर कॉलेज में दाखिला लिया तो वहां भी मेरे साथ यही सब दोहराया गया। तो 1994 में लॉ की पढ़ाई भी छोड़ दी।
दूरस्थ शिक्षा ज्यादा सुरक्षित
मैंने सोचा कि दूरस्थ शिक्षा को अपनाया जाए। 1994 में रशियन, फ्रैंच लैंग्वेज में डिप्लोमा किया। कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया। इग्नू से 2015 में सामाजिक कार्य विषय में पीजी किया। इसके बाद एक बार फिर 2017 में पंजाब विवि से ही मानव अधिकार और कर्तव्य विषय से पीजी किया। इस तरह मैं पंजाब विवि से पीजी करने वाला पहला ट्रांसजेंडर स्टूडेंट बना।
अगले वर्ष 10 स्टूडेंट्स का टारगेट
इस वर्ष मैंने पंजाब विवि में 5 ट्रांसजेंडर्स को दाखिला दिलवाया है। अगले वर्ष यह टारगेट 10 ट्रांसजेंडर्स का है। जब तक हम पढ़ेंगे नहीं अपने अधिकारों के लिए कैसे लड़ेंगे। देश के संविधान में हमें भी समान अधिकार दिए गए हैं। शिक्षा का अधिकार हमें भी है।
अब अलग हॉस्टल की बात
अब मैं ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग हॉस्टल की भी डिमांड कर रहा हूं। ट्रांसजेंडर्स को भी यह समझ में आ गया है कि अगर उन्होंने पढ़ लिया तो गवर्नमेंट से लेकर प्राइवेट सेक्टर में भी उनके लिए जॉब हैं। माहौल थोड़ा असुरक्षित है लेकिन उसके लिए भी एक कॉल पर हमारी शिकायत दर्ज करने और हमें मदद पहुंचाने का नियम भी बन चुका है।
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