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लगभग-18-20 वर्ष की आयु में युवा वर्ग में सेक्स के प्रति गहरा आकर्षण उत्पन्न हो जाता है। सभी जाति के युवकों में हर समय सेक्स संबंधी नई-नई जानकारी प्राप्त करने की उत्सुकता रहती है। सेक्स के प्रति अत्यधिक लगाव युवा वर्ग में शारीरिक संबंध बनाने का आधार बनता है। यह संबंध कैसे बनता है? शादी के पहले जिस्मानी रिश्ता उचित है या अनुचित? शादी के पहले इस संबंध के उपरान्त भावी जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? इन प्रश्नों के हल ढूंढना जरूरी है।
भारत की जलवायु गर्म होने के कारण कम उम्र में ही युवा वर्ग में सेक्स के प्रति गहरी अभिरूचि उत्पन्न हो जाती है। पश्चिमी सभ्यता का बढ़ता प्रसार भी युवा वर्ग को शारीरिक संबंध बनाने की शिक्षा देता है।
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इसके अलावा फिल्मों के अंतरंग संबंध, अश्लील दृश्य, बेडरूम व बलात्कार के लंबे दृश्य युवा वर्ग पर सर्वाधिक प्रभाव डालते हैं। फलतः विपरीतलिंगी के प्रति झुकाव बढ़ता चला जाता है। फिर धीरे-धीरे छेड़छाड़, चुम्बन और लिपटा-लिपटी शारीरिक संबंध बनाने का रास्ता खोल देता है। एक बार रास्ता खुल जाने के बाद इच्छाएं बढ़ती जाती हैं। अंततः यह एक मानसिक समस्या का रूप धारण कर लेती है।
शादी के पहले जिस्मानी रिश्ते का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हमारे समाज में शादी से पूर्व शारीरिक संबंध बनाने की मान्यताएं नहीं हैं। ऐसे लोगों को समाज सदैव गलत निगाहों से देखता है। उन्हंे कभी सम्मान की नजरों से नहीं देखा जाता है। अतः शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने से कहीं अधिक उचित शादी कर लेना है वरना कभी-कभी युवक सेक्स की प्यास में भटककर कालगर्ल्स के पास चले जाते है और उन्हें एड्स सदृश खौफनाफ बीमारी उपहारस्वरूप मिल सकती है। इसके अलावा शादी के बाद इस अनैतिक संबंध का व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं बल्कि सामाजिक रूप से बुरा प्रभाव पड़ता है। ये अनैतिक रिश्ते भावी जीवन में विष घोल देते हैं।
कुछ लड़कियां प्रेम में पागल होकर अपने प्रेमी को जिस्म सौंप देती हैं। फलतः प्रेमी के मन में प्रेमिका के प्रति गलतफहमी पैदा हो जाती है। वह सोचने लगता है कि अगर उसने मुझ से जिस्मानी संबंध बनाया है तो गैर मर्द से भी बना चुकी होगी। उसी समय अविश्वास की एक गहरी खाई उत्पन्न हो जाती है। इसके अलावा कई धोखेबाज पुरूष प्रेम की आड़ में शरीर से खेलकर शादी के बाद उस लड़की को ब्लैकमेल भी करते हैं जिससे उसका जीवन संकटमय हो जाता है। अतः शादी से पहले भूलवश भी शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए।
अगर यह भूल हो चुकी हो तो अपने पति को कभी भी नहीं बतानी चाहिए। दअरसल प्रायः पुरूष शक्की किस्म के होते हैं। वे गैर मर्द से अपनी पत्नी का बात करना भी पसंद नहीं करते हैं। ऐसी दशा में पत्नी द्वारा उसके पूर्व संबंध जान लेने पर वह चाहकर भी उस पर विश्वास नहीं करता और न ही संबंध बनाने में रूचि लेता है। प्रायः विवाहित लड़कियां मनोविश्लेषकों को खत लिखती है-
‘‘मैंने शादी के बाद अपने पति पर विश्वास करके उन्हें अपने प्रेमी से शारीरिक संबंध की जानकारी दी। उसके बाद वह मुझमें दिलचस्पी नहीं लेते। हमेशा मुझसे दूर-दूर रहते हैं। मेरा जीवन मौत के समान बन चुका है। अगर आपने मुझे उचित सलाह नहीं दी तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।’
‘मेरी शादी होने वाली है मगर शादी से पहले मेरा कई लड़कों से शारीरिक संबंध था। अब मैं डर रही हूं कि शादी के बाद क्या मेरे पति मुझे प्यार करेंगे? क्या मैं उन्हें संतुष्ट कर सकूंगी।’
‘जो भूल हो चुकी है उसे बीते अध्याय की तरह दिल के कब्र में दफन कर देना चाहिए। पति खूब प्यार दें, उपहार दें या विश्वास प्रदान करें, उन्हें शादी से पूर्व संबंधों की जानकारी नहीं देना सर्वथा उचित है।’
दूसरी ओर पुरूषों के जीवन पर भी शादी से पहले के रिश्ते का बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर पुरूष जाति भावना में बहकर अपने प्रेम या शारीरिक संबंध पत्नी के समक्ष प्रकट कर देते हैं तो भले पत्नी विरोध न प्रकट करे मगर उसके दिल में एक चिंगारी जरूर उत्पन्न हो जाती है जो धीरे-धीरे आग का रूप धारण करके रिश्ते को जलाकर भस्म भी कर सकती है।
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