दिलेर समाचार, पटना. बिहार की राजनीति में अब बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख खान और सदी के महानयाक अमिताभ बच्चन के बेटे एक्टर अभिषेक बच्चन की भी एंट्री हो गयी है. हालांकि ऐसा नहीं है कि ये दोनों फिल्म स्टार बिहार की राजनीति में शामिल होने जा रहे हैं. दरअसल बिहार के सियासी गलियारे में इन इन दोनों बॉलीवुड स्टार के नाम की चर्चा होने लगी है. यह चर्चा किसी और ने नहीं बल्कि चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने शुरू की है. प्रशांत किशोर ने खुद को शाहरुख खान बताया और वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की तुलना अभिषेक बच्चन से कर दी है. हालांकि प्रशांत किशोर ने ऐसा क्यों किया इसको लेकर उन्होंने दिलचस्प कहानी भी सुनाई है.
दरअसल प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार की राजनीति में काफी चर्चित नाम हैं. वह बिहार में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए लगातार प्रदेश के अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं. प्रशांत किशोर लोगों को खुद से जोड़ने के लिए अलग-अलग अभियान चला रहे हैं. साथ ही वह लोगों को बता रहे हैं कि आखिर वह बिहार की सत्ता में कैसे एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं. प्रशांत किशोर बिहार की जनता को यह भी बताने में जुटे हैं कि आखिर 2 अक्टूबर को राजनीतिक पार्टी का रूप लेने वाली जनसुराज कैसे दूसरी पार्टियों से अलग होगी. इन बातों को लोगों तक बताने के लिए प्रशांत किशोर ने अपनी और तेजस्वी की तुलना फिल्मी कलाकारों से की है.
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अपनी तुलना बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान से करते हुए कहा कि शाहरुख खान ने सबसे पहले टीवी के फौजी और सर्कस सीरियल में काम कर अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से स्वयं के लिए अपना रास्ता बनाया. उनकी मेहनत की बदौलत ही बॉलीवुड में उनकी पहचान किंग खान के रूप में है. पीके ने कहा कि जब शाहरुख खान ने अपने करियर की शुरुआत की तब उनके पास अभिषेक बच्चन की तरह कोई विकल्प नहीं था. उनको शुरुआत में जैसा भी काम मिला उसको उन्होंने चुना और अपनी काबिलियत के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई. बॉलीवुड में कई वर्षो तक काम करने के बाद और कई सुपरहिट मूवीज देने के बाद शाहरूख ने अपनी पसंद के डायरेक्टर, प्रोडक्शन हाउस और स्क्रिप्ट को चुनना शुरू किया.
वहीं प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव की तुलना अभिषेक बच्चन से करते हुए कहा कि अभिषेक बच्चन की पहचान रही है कि वह अमिताभ बच्चन के बेटे हैं. इसलिए उनको हमेशा से अपनी पसंद का काम चुनने का मौका मिला. उसी तरह तेजस्वी की भी पहचान सिर्फ यह है कि वह लालू जी के बेटे हैं. तेजस्वी यादव को राजनीति में जो भी मिला उनके पिता जी के नाम पर मिला. तेजस्वी को तो जीडीपी और जीडीपी विकास दर में भी फर्क नहीं पता और यह बिहार का दुर्भाग्य है कि ज्ञान और बुद्ध की धरती पर हमने अनपढ़ और बदमाश लोगों को अपना नेता बना रखा है. लेकिन, जिस तरह से शाहरुख खान ने बॉलीवुड में अपना रास्ता और अपनी पहचान खुद बनाई है, उसी तरह राजनीति में मैंने अपनी पहचान खुद बनाई है.
प्रशांत किशोर जनता से आग्रह करते हुए कहते हैं कि हमारा रास्ता सीधा नहीं है. हम गांव-गांव जा रहे हैं. लोगों से मुलाकात कर रहे हैं. उनकी समस्या को नजदीक से देख रहे हैं और यह भी बता रहे हैं कि उनकी परेशानी कैसे खत्म होगी. अब जनता को तय करना है कि वे उनके ऊपर भरोसा करे जिसने अपनी बुद्धि और मेहनत से अपने लिए रास्ता बनाया है या उन पर जो अपने बाबू जी के नाम से आगे बढ़े हैं.
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