दिलेर समाचार, पारिवारिक कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 10 प्रतिशत से कम है और इसमें वृद्धि नहीं हो रही है, ऐसे में इसको लेकर किसी प्रकार की चिंता की बात नहीं है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
एसबीआई रिसर्च ने गुरूवार को एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘देश में पारिवारिक कर्ज बढ़ने को लेकर काफी हो-हल्ला है। हालांकि, इस प्रकार की चिंता का कोई आधार नहीं है। सचाई यह है कि यह जीडीपी का केवल 9-10 प्रतिशत है।’’।
हालांकि, यह सही है कि पारिवारिक बचत दर वित्त वर्ष 2016-17 में घटकर 30 प्रतिशत पर आ गयी जो वित्त वर्ष 2007 -08 में 36.8 प्रतिशत थी। ऐसे में यह निष्कर्ष निकालना गलत है कि इससे पारिवारिक कर्ज बढ़ेगा।
पिछले कुछ साल से पारिवारिक कर्ज कम और स्थिर बना हुआ है और यह जीडीपी के 9 से 10 प्रतिशत के आसपास है।रिपोर्ट में कहा गया है कि पारिवारिक कर्ज में जमींदार, सूदखोर अरौर संबंधियों की अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
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