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गुजरात देश का बहुप्रचारित राज्य है।इसी राज्य के बल पर नरेंद्र मोदी भाजपा एवं अमित शाह को देशव्यापी राजनीति एवं चुनाव में सफलता मिली है। संसद एवं देश के अनेक राज्यों के विधानसभा चुनाव में कामयाबी मिली है। इस राज्य में चुनाव की घड़ी आ गई है। लिहाजा भाजपा से पराजित सभी दल अब गुजरात चुनाव में बदला लेने को आतुर हैं।
देश में गुजरात ऐसा राज्य है जहां कभी राष्ट्रपति शासन लागू नहीं हुआ। इसे विकास के मामले में मानक राज्य माना जाता है। यह विकास पथ पर सबसे अग्रणी है। इस समस्त सफलता का श्रेय नरेंद्र मोदी स्वयं लेते हैं। यहां के लोग व्यवसाय में अग्रणी हैं। यहां गत दो दशक से भाजपा की सरकार है। वर्तमान समय यहां 61 वर्षीय विजय रूपानी मुख्यमंत्राी पद पर आसीन हैं। वे 7 अगस्त 2016 से इस पद पर हैं। 6.27 करोड़ से अधिक की आबादी वाले गुजरात राज्य में 33 जिले हैं। लगभग 80 प्रतिशत आबादी साक्षर है। स्त्राी पुरुष अनुपात में असमानता है। पढ़े-लिखे संपन्न परिवारों में लड़कियों की कमी है। इन्हें गरीब ग्रामीण इलाकों से अपने परिवार के लिए बहू लानी पड़ती है। यह सामूहिक विवाह की आड़ में होता है।
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यहां की विधानसभा में 182 सीटें हैं। इनमें से 115 स्थानों पर अभी भाजपा एवं 61 पर कांग्रेस एवं शेष अन्य दल के विधायक हैं। यहां से लोकसभा के लिए 26 एवं राज्यसभा के लिए 11 सांसद चुने जाते हैं।
प्रधानमंत्राी बनने के बाद नरेंद्र मोदी के इस गृह राज्य में यह पहला चुनाव होगा। भाजपा यहां से लगातार चार बार विजयी हुई है जबकि तीन बार मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ कर भाजपा को सफलता मिली है।
वर्तमान समय गुजरात का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। पटेल और दलित आंदोलन के चलते भाजपा अब बैकपुट पर आ गई है। पहले यहां भाजपा का मुख्य विरोधी कांग्रेस पार्टी रही जो चुनाव में लगातार हार के चलते बिखर गई है जबकि वर्तमान समय कांग्रेस पटेल आंदोलनकारी आम आदमी पार्टी शिवसेना समेत अनेक दल भाजपा को चुनौती देने सामने हैं।
नरेंद्र मोदी व अमित शाह भाजपा की कीर्तिमानी सफलता चाहते हैं। प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी भाजपा राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस कामयाबी के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।
आनंदीबेन पटेल नरेंद्र मोदी के बाद गुजरात के मुख्य मंत्राी का पदभार संभाल रही थीं किंतु वह पटेल आंदोलनकारियों को संभाल नहीं पाई, तब आनंदीबेन पटेल को इस पद से हटाकर विजय रुपानी को बिठाया गया किंतु विजय रूपानी भी दलित आंदोलनकारियों को काबू में नहीं कर पाए, उनकी समस्या भी दूर नहीं कर पाए, फिर भी वह मुख्यमंत्राी पद संभाल रहे हैं। ऊपर से भाजपा ने इन्हें सीएम पद केंडिडेट के रूप में घोषित कर दिया है।
चुनाव में हार का भय सभी को सताता है, लिहाजा भाजपा पहली बार हार के डर से भीतर तक भयभीत है, इसलिए वह विरोधियों को तोड़-फोड़ कर कमजोर कर रही है और अपनी ताकत बढ़ा रही है। भाजपा अपनी पार्टी शासित सभी राज्यांे के दिग्गज नेताओं की यहां चुनाव तक ड्यूटी लगा रही है।
भाजपा जीत का टारगेट पूर्व की अपेक्षा बढ़ा कर मैदान में काम कर रही है नरेंद्र मोदी, विजय रूपानी भाजयुमो अमित शाह की अलग-अलग बड़ी रैलियां आयोजित की जा रही हैं ताकि भाजपा एकजुट हो कर उसकी ताकत बढ़ जाये और हार का सामना से बच जाए।
निर्धारित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार यहां दिसंबर में चुनाव हो रहा है और चुनाव की घोषणा के साथ ही सभी दल यहाँ भाजपा को मात देने टूट पड़े हैं। पहली बार यहां का चुनाव चुनौतीपूर्ण एवं दिलचस्प हो गया है। देश के सभी क्षेत्राीय एवं राष्ट्रीय दल इसमें शामिल हो रहे हैं। गठबंधन महा गठबंधन जैसी स्थिति बन रही है। देश विदेश इसे देखेगा। नरेंद्र मोदी भाजपा अमित शाह एवं गुजरात सभी खास जो हैं। यहां दिसंबर में दो चरणों में मतदान के बाद 18 दिसंबर को परिणाम जारी होगा।
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