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कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी होने से देसी मुद्रा रुपये में डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट आई और रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया, जिससे तेल आयात बिल में इजाफा हुआ और चालू खाते का घाटा बढ़ गया. तेल का दाम बढ़ने पर सरकार को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद कर में कटौती करनी पड़ी. साथ ही, सरकार ने गैस का इस्तेमाल बढ़ाने की दिशा में कोशिशें तेज कर दीं.
देशभर में तेल के दाम में लगातार 15 दिनों तक जारी वृद्धि के दौरान मई में पेट्रोल का दाम मुंबई में 86 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया. तेल के दाम रोज नई ऊंचाई को छूने लगा. ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिग कंट्रीज (ओपेक) और गैर-ओपेक तेल उत्पादकों ने इसी महीने वियना में हुई बैठक में तेल के उत्पादन में रोजाना 12 लाख बैरल की कटौती करने का फैसला लिया. पेट्रोल और डीजल के दाम में अकस्मात जून में गिरावट का दौर आया.
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इसके बाद सितंबर में पेट्रोल और डीजल के दाम में फिर रोजाना बढ़ोतरी होने लगी और देशभर में तेल का दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर चला गया. पेट्रोल मुंबई में 91 रुपये से ज्यादा जबकि दिल्ली में 84 रुपये प्रति लीटर हो गया. इस बीच पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की मांग होने लगी. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद कर में 1.5 रुपये प्रति लीटर की कटौती और एक रुपये प्रति लीटर की कटौती का भार तेल विपणन कंपनियों को उठाने को कहा.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान 13 तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक को भारत के रुखों से अवगत कराने के लिए जून में वियना गए.प्रधान ने कहा, "ओपेक देशों की सरकारों द्वारा जिम्मेदारी के साथ तेल की कीमतों के निर्धारण की दिशा में प्रयास करने की जरूरत है."प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर में नई दिल्ली में दुनियाभर की तेल कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात के दौरान उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच मजबूत साझेदारी पर बल दिया. इसके बाद सऊदी अरब ने कहा कि वह ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए नवंबर से उत्पादन में बढ़ोतरी करेगा.
पेट्रोल और डीजल के दाम में अक्टूबर के उच्चतम स्तर से करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है. इस बीच भारत को अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने की छूट प्रदान की और प्रधान ने कहा कि वित्त मंत्रालय खाड़ी देश से तेल आयात के लिए भुगतान की मॉडिलिटी पर विचार कर रहा है. तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास जारी रखते हुए सरकार ने इस साल 19 करोड़ टन तेल और इतने ही परिमाण में गैस के साथ डिस्कवर्ड स्मॉल फील्ड (डीएसएफ) की बोली के लिए दूसरे चरण की शुरुआत की.डीएसएफ के लिए बोली का पहला चरण 2016 में शुरू किया गया था.
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